Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai

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Page 9
________________ । () ॥ गाथा ५ मीना बुटा शब्दोना अर्थ ॥ दग्धः ताप पामेलो; दालो. । अजिमानाजगरेण अहंकारअग्निना अनिवडे रूपी अजगरे क्रोधमयेन क्रोधरूप मायाजालेन कपटरूप जालवडे दष्टः डशेलो बद्धः बंधन पामेलो उष्टेन=5ष्ट (वम); निर्दय अस्मि हुँ ढुं लोनाख्य लोल नाम कथम् कवी रीत महा मोटा नजे इं लजु नरगेण सर्पवमे त्वां-तने अस्तः गलेलो. दग्धोऽग्निना क्रोधमयेन दष्टो, दुष्टन लोनाख्यमदोरगेण यस्तोऽनिमानाजगरेण माया, जालेन बद्धोस्मि कथं नजे त्वां ॥ ५॥ शब्दार्थः-क्रोधरूपी अग्निथी ताप पामेलो, लोनरूपी मोटा निर्दय सापवझे मशेलो, अनिमान रूपी अजगरवमे गलेलो, कपटरूप जालवझे बंधाएलो हूं केवी रीते तने नजुं ? ॥५॥

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