Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai

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Page 42
________________ अपरः = बीजो नास्ते= नथी मद्= माराथी अन्य= बीजो ( ४१ ) कृपापात्रं = कृपा करवा योग्य न=नथी अत्रजने= लोकमां जिनेश्वर = हे केवलीश तथापि = तोपण एतां = प्रा ( लोकनी ) न=नहीं न=नहीं इदं = एव =ज केवलं=फक्त अहो=अरे सोधिरत्नं-उत्तम वोधि रत्न सुंदर सम्यक्त्व रत्न शिव= मोक्ष श्री = लक्ष्मी रत्नाकर = तमुष मंग वैकनिलयः = मंगलना एक याचे =नाएं लुं श्रियं = संपत्ति; दोलत किंतु = पण अर्दन=हे जगवन दीनोधार धुरंधर स्त्वदपरो नास्ते मदन्यः कृपा, पात्रंनात्र जने जिनेश्वर तथाप्येतां न याचे श्रियं; किंत्वर्हन्निदमेव केवलमहो ससद्बोधिरत्नं शिव, श्री रत्नाकर मंगलैकनि स्थान श्रेयस्करं = कल्याणकारी प्रार्थये = मागुं कुं; याचुं हुं

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