Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai
View full book text ________________
SO
.
पला
(५७) बीए, वली श्रमे संवेगी बोधी बीजने माटे आ आ. त्मनिंदा करिये जीए ॥ ए॥
गाथा १० मीना बुटा शब्दोना अर्थ ॥ रागो-राग । लजति थाय . । मां मने मे मारो
दाणं पलकमां बाधते-पीमा करे ले स्फुरति फुरे अथो वली कापेय-मांकमा जेवां दणं-दणवार; पल- मैत्री मैत्री लावना अटकचालां कमां
समालिङ्गति थाय डे कृपणा-नीच अथो बली दैन्यं दीनता; रंकप' अकृपा-निर्दय वैराग्यं वैराग्य पीमयति-
पीले परित्तै घेराएलां नम्लते यश् आवे कणं थोमी वारमा (कर्मो)
अथो बली कार्य-सयु द्वेषो द्वेष; अदेखाई हर्षः हर्ष हहा-अरेरे मां-मने
अपि पण कर्मनि: कोवमे ___ रागो मे स्फुरति दणं दाण मथो वैराग्य मुम्नते, वेषो मां नजति दणं दण मथो मैत्री समालिङ्गति; दैन्यं पीमयति क्षणं क्षण मथो वर्षोऽपि मां बाधते, कापेय कृपणाऽकृपा
Loading... Page Navigation 1 ... 56 57 58 59 60 61 62 63 64