Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai

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Page 35
________________ ( ३४ ) चिंतन करी; परंतु रोगकीला न च के० रोगरूप लोहना खीला ते चितन कर्या नहींज; तेमज धनागमः के० घननी प्राप्ति चिंतन करी, परंतु निधनागमो नो के० मरण प्राप्ति चिंतन करी नहि; तेमज में दाराः के० स्त्रीनं चिंतन कर्यु, परंतु नरकस्य कारा के० नरक संबंधी कारागृहनुं चितंन कर्यु नहि ॥ २० ॥ || गाथा २१ मीना बुटा शब्दना अर्थः ॥ ॥ स्थितं=रह्यो न नहीं साधोः = साधुना हृदि - हृदयमां; मनयां साधु सारां; शुज वृत्तात् = वृत्तथी; आचारखमे परोपकारात् = परोपकारवमे न=नहि कृतं कर्यो न=नहि तीर्थोदरादि = जीर्णोद्धार वि गेरे कृत्यं = काम मया=में मुधा = व्यर्थः फोकट प्रहारितं = गुमायो एव=ज जन्म-जन्म; जींदगी यशः-जश प्रतिं = मेलव्यो. च = वली; ने स्थितं न साधोर्हदि साधुवृत्तात्, परोपकारान्न यशोऽतिं च; कृतं न तीर्थोद्धरणादि

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