Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai
View full book text ________________
( ३७ )
तो में संपादन कर्यु नहि तेज बतानुं लुं; मने गुरुदितेषु के० गुरुए जापण करेला व्याख्यान श्रवण करवा विषे वैराग्यरंगः के० वैरागनी वासना नाजनि के उत्पन्न थइ नहि. यक्तं ॥ धर्मांख्याने श्मशाने च रोगिणां यामतिर्भवेत् ॥ यदि सा निश्चलाबुद्धिः को न मुच्येत् बंधनात् ॥ १ ॥ तेमज दुर्जनानां के० सनोना, वचनेषु के० वाक्याने विषे, शांतिर्नाभूत के० उपशम प्राप्त थयो न हि तेमज मम कोपि अध्यात्मलेशः न के० मने कोइप आत्मबुदिए पठनपाठनादिक अष्टांग योगनो लव पण प्राप्त थयो नहि ॥ २२ ॥
॥ गाया २३ मीना बुटा शब्दना अर्थ |
पूर्वजवे पूर्व जन्ममां पाउल गरला जवोमां अकारि-कर्यु
मयान्
न-नहि
पुण्यं सुकृत आगामि-यागत थनारा जन्मनि-जन्मोमां अपि =ए
नो नहीं
करिष्ये करीश यदि = जो
ईदृशः =वा प्रकारनो; घ्यावा
गुणवालो
=
अहं=
मम=मारा
तेन ते कारण माटे
नष्टा = नाश पाम्या
Loading... Page Navigation 1 ... 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64