Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai
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देवोनी सेवनाए करीने कर्म वृथा कर्तुं के झानावरणीयादिक पापकर्म तुं अपाकरण करवा माटे अांति के इनु पुं. ॥ १२ ॥
॥ गाथा २३ मीना बुटा शब्दना अर्थ ॥ विमुच्य-मुको देईने बोमोदईने | वदोज-स्तन दृग्लयगतं दृष्टिगोचर भूत | गलीरगंजीर . पावेला
नालीनाली; उंटी : नवंत-आपने . कटी के ध्याता-चितव्या; ध्यान कहुँ । तटीयाः हलतां शरीरनां अवमया में
यववाला यूहधिया-ढ बुध्विालाए सुदृशां-सुंदर दृष्टिवाली स्त्रीनना हृदंत-हदयमां
विलासाः विलासो हावनावकटादनां कटाद
नां सुख विमुच्य दृगलक्ष्यगतं नवंतं, ध्याता मया मूढधिया हृदंतः; कटादवकोजगन्नीर नानी, कटीतटीयाः सुदृशां विलासाः ॥ १३ ॥
___ शब्दार्थः-दृष्टिगोचरनूत आवेला थापने बोझी देईने में मूढ बुद्धिवालाए कटाक, स्तन, गंजोर
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