Book Title: Ratnakarsuri Krut Panchvisi Jinprabhsuri Krut Aatmnindashtak Hemchandracharya Krut Aatmgarhastava
Author(s): Ratnakarsuri, Jinprabhsuri, Hemchandracharya
Publisher: Balabhai Kakalbhai
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॥ गाथा - मीना बुटा शब्दोना अर्थ ॥ त्वतः ताराथी
प्रमाद-प्रमाद, नूल, बेदरकारी. सुदुःपापम् घणा अखे मल- निश-नंघ (ना) वी शकाय एवं
वशतः वशथीं इदं आ
गतंगयु मया में मारावडे
तत्-ते आप्तं-मेलव्यु
कस्य कोनी रत्नत्रयं रत्नत्रिक ज्ञान दर्शन अग्रता आगल चारित्र
नायक हे स्वामिन् ! जूरि-घणा
पूत्करामि-पोकार करूं जवज्रमेण जव जमवावमे करी।
त्वतः सुःप्रापमिदं मयाप्तं, रत्नत्रयं नूरि नवन्त्रमेण, प्रमादनिद्रावशतो गतं तत्कस्याग्रतो नायक पूत्करोमि ॥ ७ ॥
शब्दार्थः-घणा पुःखे मेलवी शकाय एवं आ रत्नत्रय (त्रण रत्न ) हुँ ताराथी पाम्यो, पण ते घणा जव जमवावमे करीने तथा प्रमाद अने निशाना
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