Book Title: Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 19
________________ (१५) ॥ नवम तपपदपूजा प्रारंजः॥ ॥ काव्यं, इंजवज्रावृत्तम् ॥ कम्मदुमोम्मूलण कुंजरस्स, नमो नमो तिवतवोजरस्स ॥ ___ मालिनीवृत्तम् ॥ श्य नव पय सिकं, लछि विजा समिकं ॥ पयडियमुरवग्गं, हीतिरेहासमग्गं ॥ दिसिव सुरसारं, खोणि पीढावयारं ॥ तिजय विजय चकं, सिक चकं नमामि ॥१॥ ॥ तुजंगप्रयातवृत्तम् ॥ त्रिकालिक पणे कर्म कषाय टाले, निकाचित पणे बांधियां तेह बाले॥कडं तेह तप बाह्य अंतर पुनेदें, दमायुक्त निर्देतु पुर्ध्यान बेदे ॥२॥ होये जास महिमाथकी लब्धि सिकि, श्रवांडकपणे कर्म आवरणशुकि॥ तपो तेह तप जे महानंद हेतें, होये सिकि सीमंतिनी जिम संकेतें॥ ॥३॥ श्स्या नवपद ध्यानने जेह ध्यावे, सदानंद चियूपतातेहपावे॥वली ज्ञान विमलादिगुणरत्नधामा, नमूं ते सदा सिमचक्र प्रधाना ॥४॥ मालिनीवृत्तम् ॥ श्म नवपद ध्यावे, परम आनंद पावे, नवजव शिव जावे, देव नरजव पावे ॥ झान विमल गुण गावे, सिमचक्रप्रनावें, सवि उरित समावे, विश्व जयकार पावे ॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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