Book Title: Puja Sangraha
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 25
________________ (१) श्रीमदानंदविजयजीवात्मारामजीकृत विशतिस्थानकपूजाप्रारभ्यते. ॥ तत्र ॥ ॥प्रथम अरिहंतपदपूजाप्रारंनः॥ ॥दोहा॥ ॥समरस रसजरअघहर,करम नरम सब नास ॥ कर मन मगन धरम धर, श्रीशंखेश्वर पास ॥१॥ वस्तु सकल प्रकाशिनी, नासिनि चिद्घनरूप ॥ स्यादवाद मतकाशिनी, जिनवाणी रसकूप ॥२॥ बठे अंग आवश्यकें, वीश निमित्त विधान ॥ ते साधे जिनपद लहे, अजर अमरकी खान ॥३॥जिनगणधर वाणी नमी, आणी नाव उदार ॥ विंशति पद पू. जन विधि, कहिशुं विधि विस्तार ॥४॥ विंशति त. प पद सारिखी, करणी अवर न कोय ॥ जो नवि साधे रंगशु, अनिरूपी होय ॥५॥ क्रमसे पीठ त्रिकोपरें,थापी जिनवर वीश ॥ सामग्री सहु मेलिने, पूजे त्रिजुवन ईश ॥६॥ एक एक पद पूजिये, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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