Book Title: Pramana Nirnay
Author(s): Vadirajsuri, Surajmukhi Jain
Publisher: Anekant Gyanmandir Shodh Sansthan

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Page 6
________________ जैन दर्शन के मृनीषी डॉ० जयकुमार जैन ने प्राक्कथन लिखकर ग्रन्थ के महत्त्व को बढ़ा दिया है। परम पूज्य गुरूवर श्री १०८ सरलसागर जी महाराज के प्रति भी कृतज्ञतावश नमोस्तु करता हूँ कि आपने भी ग्रन्थ के अनुवाद को देखकर प्रकाशन हेतु प्रेरणा दी। ग्रन्थ का अनुवाद लगभग एक वर्ष पूर्व हो चुका था किन्तु प्रकाशन के कार्य में अनेक अवरोधक कारण आते रहे। इस ग्रंथ के प्रकाशन हेतु आर्थिक सौजन्यता जिनवाणी उपासक श्री सुखपाल जैन इंजीनियर, भुवनेश्वर ने सहज ही दी, अतः स्व० पिता श्री अतरसेन जैन एवं स्व० मातुश्री फिरोजीदेवी बड़ौत की पुण्य स्मृति में उनके सुपुत्र श्री सुखमाल जैन, श्री सुखपाल जैन एवं श्री अशोक जैन के आर्थिक सौजन्य से ग्रन्थ का प्रकाशन किया जा रहा है। एतदर्थ ये सभी धन्यवाद के पात्र हैं । अनेकांत भवन ग्रन्थ रत्नावली १,२ की भव्य प्रस्तुति के बाद प्रमाण निर्णय ग्रन्थ आप सभी के समक्ष है । पाठकों! को यह विश्वास दिलाते हैं कि आप सभी के सृजनात्मक सहयोग से अन्य महत्वपूर्ण ग्रन्थ भी समय-समय पर श्रुताराधकों के लिए संस्थान द्वारा प्रकाशित होते रहेंगे । प्रूफ एवं मुद्रण सम्बंधी त्रुटियाँ रह सकती हैं एतदर्थ विद्वानों से निवेदन है कि वे हमें अवगत करायें ताकि अगले संस्करण में संशोधन किया जा सके। ब्रo संदीप सरल संस्थापक अनेकांत ज्ञान मंदिर शोध संस्थान बीना (सागर) म०प्र० 5

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