Book Title: Prakrit Vidya 2001 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

View full book text
Previous | Next

Page 57
________________ हमारे हजूर में लाओगे। यह विरोध हमारा नहीं, महान् अरस्तू का है, और तुम उनकी बुद्धि का प्रतिनिधित्व अच्छी तरह कर सकते हो।" ___ओनेसिक्राइटस ने गरदन झुकायी और कहा, “महाराज ! मैं महान् अरस्तू की निधि की रक्षा करूँगा।" निमिष-मात्र में सारी यवन-सेनाओं में उन अद्भुत-साधुओं की चर्चा फैल गयी, जिन्होंने शक्ति के देवता की उपेक्षा की थी। इस उपेक्षा के पीछे जो दार्शनिक-शक्ति थी, उसे जानने के लिए प्रसिद्ध यूनानी दार्शनिक ओनेसिकाइटस व्यग्र हो उठा। राजसभा समाप्त हो जाने पर ओनेसिक्राइटस के जाने से पहले सिकन्दर ने उसे अपनी सेवा में बुलवाया। उसके कंधों पर हाथ रखकर यूनानी विजेता बोला, “तुम समझ रहे हो, यह यूनान की बुद्धि-परीक्षा है। हमने शस्त्र के बल से पृथ्वी का आधा-भाग जीता है और शेष आधा हमारे कदम चूमने के लिए सिमटता आ रहा है। यदि तुमने इस जीती हुई पृथ्वी की बुद्धि को जीत लिया, तो यूनान की सत्ता अमर हो जायेगी।" ओनेसिक्राइटस ने सिर झुकाया, “यूनान का दर्शन अजेय है, अविचल है। जुपिटर का बेटा सिकन्दर उसका रक्षक है।" । फिर सिकन्दर ने अपने गुरु-भाई के साथ एक परिहास किया, “हम जानते हैं कि तुम्हारी आधी और उत्तम-बुद्धि हम फारस में ही छोड़ आये हैं। लेकिन हमारा विचार है कि इस अवसर के लिए तुम्हारी वर्तमान-शक्ति ही काफी होगी।" . ओनेसिकाइटस की वह आधी-बुद्धि यूनानी-सौंदर्य की सर्वोत्तम प्रतीक उसकी रूपसी पत्नी हेलेना थी, जिसे भारत आते समय सिकन्दर ने मार्ग की कठिनाइयों के विचार से फारस में ही रहने को विवश किया था। महत्ताशाली स्वामी से परिहास पाकर ओनेसिक्राइटस को अपनी शक्ति के प्रति गर्व हुआ और वह मुस्करा उठा। ___ महाराज आंभी के साथ यूनानी दार्शनिक पूरे साज-बाज के साथ अपने आध्यात्मिकप्रतिद्वंद्वियों को परास्त करने के लिए चला। तक्षशिला से दस मील दूर जब यह छोटा-सा राजसी-दल अपने लक्ष्य-स्थान पर पहुंचा, तो उन्होंने देखा कि जेठ की तपती दुपहरी में कुछ शिलाखंडों पर पंद्रह नग्न-मुनि आँखे मींचे साधना में तल्लीन थे। इन लोगों को आगे बढ़ते जानकर महाराज आंभी ने कहा, “सावधान ! इस पवित्र-स्थान में जूते पहनकर जाना वर्जित है।" सब लोग सहमकर खड़े रह गये। तत्कालीन तीन दुभाषिये सामने आये। उन्होंने महाराज के शब्दों का संस्कृत से अरबी, अरबी से लेटिन और लेटिन से यूनानी-भाषा में रूपांतर कर दिया। ओनेसिकाइटस ने रुष्ट होकर आंभी की ओर देखा। आंभी ने कहा, “यहाँ की रीति है। विद्वान् लोग जहाँ जाते हैं, वहीं की रीति-नीति का पालन करते हैं।" यूनानी दार्शनिक ने अपने एक पैर का जूता उतारकर पैर पत्थर के सपाट फर्श पर प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2001 0055

Loading...

Page Navigation
1 ... 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124