Book Title: Prakrit Vidya 2001 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 122
________________ महावीर मैमोरियल, महावीर वनस्थली, जैन अनाथरक्षक सोसायटी, जैन महासभा, त्रिलोक शोध संस्थान, एस.डी.ओ.एम.आई. मैनेजिंग कमेटी श्रवणबेल्गोला, गुरु नानक फाउण्डेशन, सनातन धर्म सभा, पंजाबी सोसायटी आदि आदि। वर्तमान में आप रानीला तीर्थक्षेत्र के अध्यक्ष थे। प्रख्यात समाजसेवी बाबू सुकुमाल चन्द जी नहीं रहे ऐतिहासिक नगरी हस्तिनापुर नामक पावन तीर्थ के प्राचीन जिनमंदिर के संरक्षण और संवर्द्धन के लिये समर्पित देशभर की अनेकों सामाजिक संस्थाओं के विभिन्न पदों को सुशोभित करनेवाले धर्मप्राण बाबू सुकुमाल चन्द जी मेरठवालों का दिनांक 17 नवम्बर 2001 को धर्म यानपूर्वक देह-वियोग हो गया। परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के प्रति अनन्य आस्था रखनेवाले बाबू सुकुमाल चन्द जी हस्तिनापुर की दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्री कमेटी के कई दशकों से प्रधानमंत्री रहे, और आपके नेतृत्व में इस क्षेत्र ने उल्लेखनीय प्रगति की। इसके साथ ही अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी, दिगम्बर जैन महासमिति, दिगम्बर जैन परिषद्, भगवान् महावीर 2500वां निर्वाणोत्सव-समिति आदि अनेकों सुप्रतिष्ठित संस्थाओं के प्रमुख पदों को आपने विभूषित किया, और इन सभी संस्थाओं ने आपके सुयोग्य नेतृत्व और मार्गदर्शन में अनेकों महत्त्वपूर्ण कार्य सम्पादित किये। ** __ श्री उम्मेदमल जैन पाण्ड्या अब हमारे बीच नहीं रहे अखिल भारतवर्षीय संस्थाओं के प्रति सक्रियरूप से आजीवन समर्पित, मृदुभाषी, उदारमना, दानशील, देवशास्त्र-गुरु के अनन्य भक्त, श्री दिगम्बर जैन आदर्श महिला महाविद्यालय श्रीमहावीरजी एवं तीर्थक्षेत्रों के चतुर्दिक विकास में समर्पित अनेक संस्थाओं के न्यासी, शाश्वत तीर्थराज श्री सम्मेदशिखर जी आन्दोलन के अग्रणी व्यक्तित्व, श्रवणबेल्गोला यात्रा संघ व महामस्तकाभिषेक, सहस्राब्दी समारोह श्रीमहावीरजी, कुण्डलपुर महामस्तकाभिषेक में तन, मन, धन से सक्रिय वरिष्ठ सहयोगी श्री उम्मेदमल जी पाण्ड्या का दिनांक 18.11.2001 को देहावसान हो गया है। प्रसिद्ध समाजसेवी श्री सतीश कुमार जैन को पितृशोक राष्ट्रिय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के ख्याति प्राप्त समाजसेवी एवं साहित्यकार, अहिंसा इंटरनेशनल के संस्थापक एवं महासचिव श्री सतीश कुमार जैन के पिताश्री श्रीचन्द जैन का दिनांक 26.11.2001 को नई दिल्ली में 101 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया। आप अपने पीछे समृद्ध भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। –सम्पादक | इन भव्यात्माओं के बताये हुये मार्ग पर निष्ठापूर्वक चलने के साथ 'प्राकृतविद्या परिवार' एवं कुन्दकुन्द भारती न्यास के समस्त न्यासियों एवं कार्यकर्ताओं की ओर से दिवंगत आत्माओं को सुगतिगमन, बोधिलाभ एवं शीघ्र निःश्रेयस्-प्राप्ति की | मंगलकामना के साथ अपने विनम्र श्रद्धासुमन समर्पित हैं। -सम्पादक | * * 00 120 प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2001

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