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विनम्र श्रद्धांजलि
हवालदा समारोह
श्रीमहावीरजी के सहस्राब्दी-मस्तकाभिषेक समारोह में पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द मुनिराज से
आशीर्वाद ग्रहण करते हुये डॉ० मण्डन मिश्र।
स्वनामधन्य मनीषीप्रवर डॉ० मण्डन मिश्र जी दिवंगत ऊपर मुद्रित चित्र श्रीमहावीरजी क्षेत्र पर आयोजित सहस्राब्दी-मस्तकाभिषेक समारोह के सुअवसर का है। इस समारोह में अपनी सहभागिता-हेतु तथा पूज्य आचार्यश्री के दर्शनार्थ डॉ० मण्डन मिश्र जी वहाँ पधारे थे, तथा महामस्तकाभिषेक-समिति ने उनका सम्मान किया था; उसी अवसर पर पूज्य आचार्यश्री से आशीर्वाद लेने की स्थिति में छायाकार ने उनका यह चित्र लिया था। यह चित्र डॉ० मण्डन मिश्र जी को इतना प्रिय लगा कि उन्होंने उसी दिन से अपने कक्ष में प्रमुख स्थान पर इस चित्र को बड़ा कराके लेमिनेशनपूर्वक लगवाया,
और वे सदा कहते थे कि “मैं तो सदैव आचार्यश्री की छत्र-छाया में ही रहता हूँ।" ___ भारतीय संस्कृति के गौरव-पुरुष के रूप में विशेष रूप से उल्लेखनीय डॉ० मण्डन मिश्र जी वैदिक-संस्कृति के विशेषज्ञ विद्वान् होते हुये भी श्रमण-संस्कृति में उनकी अनन्य आस्था थी। वे प्रतिवर्ष श्रीमहावीरजी क्षेत्र पर दर्शनार्थ जाते थे, तथा वहाँ भगवान महावीर के दर्शन के साथ-साथ वे विदुषी समाज-सेविका ब्र० कमलाबाई जी से भी अवश्य मिलते थे; और उनके प्रति अपने कृतज्ञता के भाव अर्पित करते थे। परमपूज्य आचार्यश्री को तो वे अपने जीवन का सर्वस्व मानते थे। वे कहते थे कि “पूज्य आचार्यश्री से जितना अपार वात्सल्य मैंने प्राप्त
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प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2001