Book Title: Prakrit Vidya 2001 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 109
________________ भव्य-प्रतिमा का अनवरत-जलाभिषेक मंत्रोच्चार के मध्य शास्त्रोक्त-रीति से सम्पन्म हुआ। समारोह के अन्त में प्रो० टीकमचंद जैन एवं श्री देवसैन जैन, (जैन टेंट हाउस) का भी सम्मान आयोजकों की ओर से किया गया। . ___इस समारोह में जहाँ मंच सज्जा एवं अभिषेक व्यवस्था आदि अत्यन्त उच्चस्तर की थी, वहीं वीर सेवा दल, जयपुर ने भी व्यवस्था बनाने में सराहनीय योगदान दिया। ____ यह आयोजन भगवान् महावीर के 2600वें जन्मकल्याणक-वर्ष के वर्षव्यापी कार्यक्रमों के अन्तर्गत दिल्ली राज्य की दिगम्बर जैन समिति एवं अहिंसा स्थल न्यास के द्वारा गरिमापूर्वक आयोजित किया गया। भगवान् महावीर के विश्वहितकारी संदेशों के प्रचार-प्रसार में इस आयोजन का महनीय योगदान रहा तथा इसमें जैनसमाज के कार्यक्रमों का एक आदर्श स्वरूप धर्मश्रद्धालुजनों ने देखा। -सतीश चंद जैन (आंकाशवाणी) ** 'अहिंसा शिखर सम्मेलन सम्पन्न 9.12.2001 को भारतीय जैनमिलन द्वारा आयोजित सीरी फोर्ट सभागार, नई दिल्ली में 'अहिंसा शिखर सम्मेलन' प्रमुख जैन सन्तों/आचार्यों के सान्निध्य में भारतीय जैनमिलन द्वारा विशाल स्तर पर खेलगाँव, नई दिल्ली स्थित सीरी फोर्ट सभागार में भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ। जिसमें परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज, आचार्य शिवमुनि जी, उपाध्याय गुप्तिसागर जी, प्रो० महेन्द्र मुनि जी, श्री अमर मुनि जी आदि अनेक संत विराजमान रहे। सम्मेलन की शुरुआत करे हुए आचार्य विद्यानन्द मुनिराज जी ने कहा कि “विश्व में शांति करने के लिए जरूरी है कि हम हिंसा का मार्ग छोड़कर अहिंसा के मार्ग पर चलें।" केन्द्र सरकार से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि “सरकार को सीमा और विश्व में बढ़ रहे आतंकवाद में निर्दोष प्राणियों की हिंसा रोकने के लिये जरूरी कदम उठाने चाहिये, क्योंकि प्रत्येक प्राणी को जीने के लिये शांति का वातावरण बनाने और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है।" आचार्यश्री ने कहा कि आत्मा समताभावी है, जहाँ समता है, वहीं अहिंसा है। सारे धर्मों का सार अहिंसा है। हम सभी को अहिंसा का पालन करना चाहिये।" इस मौके पर आचार्य श्री शिवमुनि जी ने कहा कि आज की हालत में भगवान् महावीर के सिद्धान्त 'अहिंसा परमोधर्म' का पालन करना हमारे लिये बेहद जरूरी है। अहिंसा के रास्ते पर चलकर प्रत्येक व्यक्ति शान्ति प्राप्त कर सकता है। सम्मेलन में उपाध्याय गुप्ति सागर जी, प्रो० महेन्द्र मुनि जी और अमर मुनि जी ने भी अपने उद्गार व्यक्त किये। जैन-विद्वान् डॉ० हुकमचन्द भारिल्ल जयपुर, श्री राजाराम जैन आरा, डॉ० प्रेमसुमन जैन उदयपुर, डॉ० सुदीप जैन, राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली के कुलपति प्रो० वाचस्पति उपाध्याय, भूतपूर्व सांसद सुश्री निर्मला देशपांडे तथा जैनसमाज के गणमान्य व्यक्ति जिनमें टाइम्स ऑफ इन्डिया की अध्यक्षा श्रीमती इन्दु जैन, श्री जे०डी० जैन, साहू रमेशचन्द जैन, श्री निर्मल कुमार सेठी भी इस अवसर पर उपस्थित रहे। इस अवसर पर उत्तरप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश, पंजाब के विभिन्न भागों से आये लोग प्राकृतविद्या अक्तूबर-दिसम्बर '2001 00 107

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