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इस अंक के लेखक-लेखिकायें
1. आचार्यश्री विद्यानन्द मुनिराज - भारत की यशस्वी श्रमण परम्परा के उत्कृष्ट उत्तराधिकारी एवं अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी संत परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराजं वर्तमान मुनिसंघों में वरिष्ठतम हैं ।
इस अंक में प्रकाशित 'पिच्छि और कमण्डलु' एवं 'उत्तम संयम और महाव्रत' शीर्षक आलेख आपके द्वारा विरंचित हैं ।
2. (स्व० ) डॉ० ज्योतिप्रसाद जैन – आप जैन- इतिहास, संस्कृति एवं दर्शन आदि के वरिष्ठ अध्येता मनीषी थे । आपके द्वारा लिखित साहित्य आज भी 'मील के पत्थर' की भाँति प्रामाणिक माना जाता है।
..इस अंक में प्रकाशित 'भारतवर्ष का एक प्राचीन जैन विश्वविद्यालय' शीर्षक आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है ।
3. (स्व० ) पं० बलभद्र जैन – आप जैनदर्शन, इतिहास एवं संस्कृति के अच्छे अध्येता मनीषी रहे। कुंदकुंद भारती के प्रकाशनों से भी आपका घनिष्ट सम्बन्ध रहा है।
इस अंक में प्रकाशित 'भगवान् महावीर' आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है ।
4. डॉ० सूर्यकान्त बाली - आप भारतीय इतिहास के अच्छे अध्येता मनीषी एवं सिद्धहस्त लेखक रहे हैं। आपके द्वारा अनेकों महत्त्वपूर्ण कृतियों का सृजन हुआ है।
इस अंक में प्रकाशित 'दार्शनिक - राजा की परम्परा के प्रवर्तक तीर्थंकर ऋषभदेव' शीर्षक आलेख आपकी लेखनी से सृजित है ।
5. पं० प्रकाश हितैषी शास्त्री - आप जैनदर्शन, तत्त्वज्ञान के अधिकारी विद्वान् होने के साथ-साथ एक सुप्रतिष्ठित सम्पादक, प्रवचनकार एवं सिद्धहस्त लेखक भी हैं । 'सन्मति सन्देश' जैसी प्रतिष्ठित जैन मासिक पत्रिका के आप कई दशकों से सम्पादक हैं। 'सन्मति - सन्देश' जैसी प्रतिष्ठित जैन मासिक-पत्रिका के आप कई दशकों से सम्पादक हैं ।
इस अंक में प्रकाशित 'श्री अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन विद्वद्परिषद के 19वें अधिवेशन में प्रदत्त अध्यक्षीय भाषण', आपके द्वारा रचित है ।
स्थायी पता – 535, जैनमंदिर गली, गाँधीनगर, दिल्ली- 110031
6. डॉ० राजाराम जैन —आप मगध विश्वविद्यालय में प्राकृत, अपभ्रंश के 'प्रोफेसर' पद से सेवानिवृत्त होकर श्री कुन्दकुन्द भारती जैन शोध संस्थान के 'निदेशक' हैं। अनेकों महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों, पाठ्यपुस्तकों एवं शोध आलेखों के यशस्वी लेखक भी हैं।
इस अंक के अन्तर्गत प्रकाशित 'मनीषीप्रवर टोडरमल प्रमुख शौरसेनी जैनागमों के प्रथम
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प्राकृतविद्या�अक्तूबर-दिसम्बर 2001
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