Book Title: Prakrit Vidya 2001 10
Author(s): Rajaram Jain, Sudip Jain
Publisher: Kundkund Bharti Trust

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Page 85
________________ देते हैं । केरल में भी जगहों के ऐसे नाम हैं जो यह सूचित करते हैं, किसी समय वे जैनधर्म से संबंधित रहे हैं I 'पालक्काड' या 'पालघाट' में एक मुहल्ला है, जो कि 'जैनमेडु' कहलाता है । उसी में प्राचीन चंद्रप्रभु मंदिर है । उस मुहल्ले में रहनेवाले कुछ तमिल लोगों ने उसका दूसरा ही नाम रख लिया है; किंतु 'जैनमेडु' का प्रयोग अभी भी होता है । जैन धर्म से संबंधित स्थल-नामों का विशेष अध्ययन श्री वी०के०के० वालथ ने विशेष रूप से किया है। उनकी खोज के परिणाम नीचे उल्लिखित प्रकाशनों में उपलब्ध हैं। वे हैं— (1) Jain influence on some Kerala place Names, abstract of the chapter in Studies in Dravidian Place names, publication of Place Names Society, Tiruvananthapuram. (and) Keralathile Sthala Chrithrangal Ernakulam Jilla (This book is in Malayam)। श्री वालथ का यह निष्कर्ष है कि, "The words such as Kall (Kallu), Ampalam, Palli, Kottam meaning temple are very ancient and bear the long lasting marks of Jainism." उनका यह मत है कि ये शब्द ब्राह्मणों की संस्कृत में नहीं पाए जाते। उदाहरण के लिए 'कल्लिल' । यह Kai+il से बना है । 'कल' का अर्थ है 'पाषाण' और 'इल' से आशय है 'मंदिर' । इस स्थान पर एक गुहा मंदिर है, जिसमें महावीर, पार्श्वनाथ की मूर्तियाँ पाषाण पर उत्कीर्ण हैं। अब वह 'भगवती मंदिर' कहलाता है। कालांतर में 'कल्लिल' शब्द का व्यवहार सभी जैन मंदिरों के लिए होने लगा। ‘कोडंगल्लूर' का संधि-विच्छेद कर उन्होंने अपने मत की स्थापना की है । इसीप्रकार के अन्य नाम हैं— Kallatikkootu, Kalleekkaatu, kallur, kallatippeetta, kalpatti, kalleekkulannara (This was the temple of Ambika now known as Heemambika), Kalpaattinilam, Kalpaattikkunnu etc. - विद्वान् लेखक का मत है कि शंकराचार्य की जन्मभूमि 'कालडी' (Kaalati) भी जैनों द्वारा चरण-उत्कीर्ण करने की प्रथा की ओर संकेत कर रही है । वे लिखते हैं, "Engraving the foot prints of Jina on rocks was a usual practice among Jains. The place name Kaalati might have originated in this way." त्रिचूर जिले में 'कूडलमाणिक्यम्' नाम का एक मंदिर है, जो किसी समय जैन मंदिर था । उसमें स्थापित मूर्ति ऋषभ-पुत्र भरत की है, ऐसा कुछ विद्वानों का मत है। उसका प्राचीन नाम भी श्री वालथ के अनुसार 'माणिक्कन कल्लू' था। 'शिलप्पादिकारम्' में एक मंदिर Vellayampalam नाम से उल्लिखित है, जो कि नष्ट हो गया। अब वह स्थान Vellaarapalli कहलाता है। जिनदेव के विशेषण थे— Ponnayirkoon, Ponneyilnathan आदि । जो मंदिर पहाड़ पर हैं, वे Ponmala, Ponmuti आदि नामों से जाने जाते हैं । ईसाइयों का प्रसिद्ध केंद्र Kurismuti पहले Ponmala ही था। श्री वालथ का मत है कि हाथी, अश्व, नाग आदि जैनों के प्रिय प्रतीक हैं । इन प्रतीकों से संबंधित अनेक स्थल - नाम केरल में हैं, जैसे प्राकृतविद्या+अक्तूबर-दिसम्बर 2001 0083

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