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पुस्तक का नाम
लेखक
प्रकाशक
संस्करण
मूल्य
पुस्तक-समीक्षा
(1)
पुस्तक का नाम
लेखक
: कातन्त्रोणादिसूत्रवृत्तिः
: डॉ० धर्मदत्तचतुर्वेदी
केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान, सारनाथ वाराणसी
दिगम्बर जैनाचार्य शर्ववर्म-विरचित 'कातन्त्र व्याकरण' भारतीय व्याकरणशास्त्र - परम्परा का वह प्रकाशस्तम्भ है, जिसने संस्कृतभाषा के नियमों का तो परिज्ञान कराया ही है, तत्कालीन लोकभाषाओं के नियमों का भी दिग्दर्शन जिसमें प्राप्त होता है ।
प्रकाशक
संस्करण
मूल्य
: प्रथम, 1992 ई०
: 135/- (शास्त्राकार, पेपरबैक, लगभग 400 पृष्ठ )
इसी कातन्त्र-व्याकरण पर आचार्य दुर्गसिंह - विरचित 'कातन्त्र- उणादिसूत्रवृत्ति' नामक इस महनीय कृति का गरिमापूर्ण सम्पादन एवं टीकाकारण का दायित्व डॉ० धर्मदत्त चतुर्वेदी ने अत्यन्त श्रम एवं निष्ठापूर्वक निभाया है तथा 'केन्द्रीय उच्च तिब्बती शिक्षा संस्थान', सारनाथ (वाराणसी, उ०प्र०) ने इसका उच्चस्तरीय प्रकाशन कराके इसकी महत्ता एवं उपयोगिता को और बढ़ा दिया है। आधुनिक प्रकाशन के उच्चप्रतिमानों के अनुरूप इस प्रकाशन की विद्वज्जगत् में व्यापक उपादेयता रहेगी – ऐसा विश्वास है । विशद संस्कृत प्रस्तावना एवं भूमिका (हिन्दी) में विद्वान् संपादक ने अत्यन्त उपयोगी सूचनाओं का संकलन करते हुए महत्त्वपूर्ण विचार- बिन्दुओं को प्रस्तुत किया है । पादटिप्पणों में आगत सूत्र - उल्लेख विषय के स्पष्टीकरण में अत्यन्त उपयोगी हैं ।
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इस गरिमापूर्ण प्रकाशन के लिए विद्वान् संपादक एवं प्रकाशन- - संस्था अभिनंदनीय हैं।
- सम्पादक **
(2)
जैन न्याय
:
: सिद्धान्ताचार्य पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री
भारतीय ज्ञानपीठ, लोदी रोड, नई दिल्ली- 110003 द्वितीय, 2001 ई०
: 160 रुपये (पक्की जिल्द, लगभग 385 पृष्ठ )
प्राकृतविद्या�अक्तूबर-दिसम्बर '2001
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