Book Title: Prakrit Padyanam Akaradikramen Anukramanika 02
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh Mala

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Page 36
________________ अर्द्धगुलाइ कमसो पायंगुल अर्द्धगुलाइ कमसो पायंगुल अर्द्धतो पेरते, अरुणं अद्धं पयस्स भायं तिभाय अर्द्ध से उवरितले, मज्झे (प्रा.वि.) २४ (दे.ना. ) ८ (गणि.) १०४ (बृ.क्षे.) १५२ (र.प.) ११६ (प्र.सा.) २३२ अद्ध इग दु चउ अट्ठय अद्धकखुरसो गुलअद्धकविय इक्चुरसो (प.भा.) ४४ अद्धकविडुगसंठाण, सठिया (त्रै.दी.) १०३ अद्धकविट्ठागारा उदयत्थ- (वि.ग.) १०८ अद्धकविट्ठागारा, उदयत्थ- (त्रै.दी.) १०४ अद्धकविद्वागारा फलिहमया (बृ.सं.) ५३ अद्ध खडंस दुवालस अंसा (गणि.) १०८ अद्धट्ठम सत्तेव य छस्सड्ढा (प्र.सा.) ३५२ अद्धतिहाय खडंसा नवंसु (गणि) ५२ अद्धतेरसकोडी उक्कोसा (श.सं. ५२ अद्ध तेरस चारस, दस दस (वै.दी.) ४८८ अद्धत्तेरसकोडी उक्कोसा (वि.सा.) १३७ अद्धत्तेरस बारस दस (जी.स.) ४२ अद्धत्तेरस बारस दस दस अद्धत्तेरस बारस, दस दस अद्धद्धं अहिवइणो अद्धनवमा य मासा अद्धनवमा य मासा तिण्णि अद्धप्पहरो कुलीओ, अद्धमसणस्स सव्वंजणस्स अद्धमसणस्स सव्वं जणस्स अर्द्धमसणस्स सव्वंजणस्स (प्र. सा. ) ८६७ अद्धमसणस्स सव्वंजणस्स (वि.सा.) ३२२ अद्धमसणस्स सव्वं, जणस्स (गाथा) ३८७ अद्धमास चउमासह पारह (उ.रा.) १८ अद्धमासाय अहियं मासय (र.प.) १२१ अद्धविवारं मंड (दे.ना.) ४३ अद्धाओ पुण दहा (ल. सा.) ५ अद्धा कालो तस्स य (प्र.सा.) २०१ अद्धा कालो तस्स य ( ल.सा.) २३ अद्धा कालो तस्स य (वि.सा.) ७५३ अद्धा कालो भण्णा तप्परि (प्रत्या.) ५ अद्धाच्छेओ सामित्तं (कर्म.) २५५ अद्धाजोगुक्कोसे, बंधित्ता (पं.सं.) ३२३ अद्धागुकोसेहि (पं.सं.) ३६८ (कर्म) ४०२ (आरा. २) ३७६ (ल.शु.) ५० (अ.उं.) १८ (भो. पू.) ६ अद्धाजोगकोसो अद्धाणरोहर जणवर अद्धापच्चक्खाणं जं तं अद्धापच्चक्खाणं तं (प्र. सा.) ९६५ (बृ.सं.) ३२२ (स.र.) ३७ (ति.गा) १०३९ (ति.गा) ६१९ (प्रत्या. ) ४८ (प.भा.) १६ अ अद्धापच्चक्खाणपुरस्सर(प्रत्या.) ६ अद्धापच्चक्खाणे कालपमाणं (ल.सा.) २४ अद्धापरिवित्तीओ पमत्त (कर्म) ३४६ अद्धामलग[य]पमाणे, (गाथा.) २७९ अद्धावट्टो दुट्ठाणिगो (श.मा.) ४६४ (चे.म.) १८९ अद्भावणयपणामं तत्तो " अद्धासमओ एगो अद्धासमया णंता नहप्पएसा अद्धिइ लद्धाए विलविऊण अद्भुट्ठ अद्ध पंचम, पलिअट्ट अद्धपंचमपलिओम अद्धट्ठपलं हिययं बत्तीसं अपलं हियर्य बत्तीस अद्धट्टा कोडीओ वालीअद्धोगो वि ते दो अद्धोरुगो वि से दो अधणी बुद्धिविउत्तो, अधणे देल्लो, ढेंढिअअध तत्थ धाउचिता, सा अध दुस्समाए कालो अधपुहर कालवेलं, कुलकं अधम तीय पण सत्तम, अधम्मं पडिसेहेइ, | अधर( उर) कंटोट्टा दंता, अधरवलेण वियख, अधरुत्तरक्रमेणं, पच्छा अधरेण सत्तमसरो, चउत्थ अधवा सुवण्णमासेहि | अध हवति भागलद्धं | अध हवति भागलद्धं अधीत्य शास्त्राणि विमृश्य अधुवं जीविअं नच्चा, अधुवत्ता देवभवे साईअधुवो अधुवाण सुहदुहाणं | अधुवाऽसरणेगत्ता वरत अधुवासरणेगता वरत अधुवुरल विठव हारग अधुवोदयाण दुविहा अधु सतिहाउ विज्झे खडंसु अनि अट्टिवायरे थीणअनिआणस्स विहिए तबस्स अनिआणो दारमणो, अनियतनपुंसा सन्नीपचिदि | अनियट्टिभागपणगे, ૧૫ अनियट्टिम्म दुर्गागं अनियट्टिम्मि वि एवं अनियट्टीपरिणामो, अट्टे अनियत्ता उण पुरिसा, अनिययतिहिगणणाए अनियाणकडा रामा, अनियाणकडा रामा, (न.भा.) ३४ (प्र.पा.) ८७ अनियाणकडा रामा (धूर्ता.) ३०६ अनियाणकडा रामा सव्वे (त्रै.दी.) ६ | अनियाणकडा रामा सव्वे (प्र.सा.) १९३९ अनियाणुदारमणओ (भ.भा.) ४०८ अनिरिन्द्रियापमज्जिय (प्र.सा.) १३७० अनिरूविऊण सम्मं जो (सा.प.) ८४ अनिवारणिज्जमेयं सयण(पंच.) ८२७ (प्र.सा.) ५३३ (क.प्रा.१) १५४ (दे.ना.) ३६४ (ज.पा.) ९८ (जो. प.) ९८ (ज्यो. ) ४ (ज्यो.) २३३ (स.शा.) २५९ (ज.पा.) ३१० (ज.पा.) २७० (ज.पा.) २४० (ज.पा.) १६० (जो.प.) २० (जो. प.) २३९ (जो. प.) २४३ (धूर्ता.) ४७० (इ.प.) ७७ (श.भा.) ४०८ ( अ.प.) ९० (उ.चि.) ३१२ ( नव. ३) २२ (श.भा.) २२२ (पं.सं.) ६४६ (गणि.) ११० (क-६) ७९ (त.कु.) १० (गाथा.) १७९ (जी. स.) ६० (क-२) ११ अन्नं च सुसु रेजिअ (कर्म.) २४७ (कर्म.) ३२८ (उ.चि.) १४१ (गाथा.) २६ (श.सं.) १३५ (र.सं.) ५८ (वि.सा.)५८१ (र.सं.) ३३१ (श्री. प्र. ) ३१५ (ध.मा.) ६५ (उ.च. २) ११ (ध.सं.) ११०१ (श.भा.) १०१८ (पं.सं.) ४४८ (बा.बो.) ५२ अन्तरड्वारिषडवर्ग, परिहार - (गाथा.) ७१९ अन्तरमेगं समयं (न.भा.) १२३ (पं.सं.) ८१७ अन्तोमुहुत्तमेत्तं अन्धियकचड्डियासुं (दे.ना.) १७५ (ध.सं.) १२०५ अनं अतिंदियं जं पच्चक्खं अनं अतिंदिवं से पच्चक्ख (ध.सं.) ११४८ अनिवारियगहणं पुण अनुभागफगाणं सिद्धाण अन्तमुहुर्त चरिमा अन्तमुहुत परेन अन्नं इमं कुडुम्बं अन्ना अन्नं इमं सरीरं अन्ना अन्नं च इमं भणियं अन्नं च इमाउ च्चिय न अन्नं च इमाओ च्चिय, अन्नं च एत्थ दोसो | अन्नं च कि पडिक्खसि ? अन्नं च गम्मइ तओ केण अनं च जिणमयम्मि चढअन्नं च जिणमयम्मी, अन्नं च जीवाईणं, कुणई अन्नं च जीविअं जं विष्णु अत्रं च दलविहीणं कह अनं च दव्वलिंगं एवं अन्नं च नज्जइ कहं जह अन्नं च नज्जइ ततो केण अत्रं च नस्सरो वा सहावतो (न.प्र.) ६० प.प.) २८ (ति.गा) ६१४ अन्नं च निद्धउण्हा निद्धाअनं च मए लद्धो अदुलहो | अन्नं च सुणसु रे जिअ (भ.भा.) ७० (नं.अं.) २२ (प्रत्या.) २१८ (उ.वि. १) ४७ (उ.वि. २ ) ३९ (जी.अ.) ८० (च.शि.) २७ (ध.सं.) १२६९ (सं.प्र.) २३२ (चे.म.) ८८७ (श्री.दि.) ९३ (पंच) ६९ (ध.सं.) ३९७ (ध.सं.) ११३० (.सं.) ११४१ (.सं. १९५४ (ध.सं.) ४०९ (श.भा.) ७७३ (प्र.जी. ७ (य.शि.) ३१

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