Book Title: Prachin Stavanavli 23 Parshwanath
Author(s): Hasmukhbhai Chudgar
Publisher: Hasmukhbhai Chudgar

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Page 36
________________ पंडितजी अनुवाद करते थे और लिखवाते थे, मैं ने योगबिन्दु अनुवाद के कुछ पन्ने अपने हाथों से लिखे थे । यह संदर्भ भी दिया और इस कार्य का क्या हुआ इस विषय में पृच्छा की । यह बात उठते ही हमारे मन में अनुवाद कार्य पुनर्जीवित हो गया । हमने दिल्ली से हाथ से लिखा हुआ सारा अनुवाद मंगवा लिया। सर्वप्रथम हमने इसका टाईप का काम करवा लिया । एल. डी. इन्डोलॉजी, अहमदाबाद में सेवारत डॉ. हेमवतीनन्दन शर्माजी को दिया उन्होंने प्रूफ रीडिंग का कार्य किया । हम उनका यहाँ आभार ज्ञापित करते है। श्री जितेन्द्रभाई ने कहा कि भाषा तो ठीक हो जायेगी प्रकाशन पूर्व विषय का संशोधन भी अत्यन्त आवश्यक है किन्तु इस बीच हमारा अहमदाबाद से विहार हो गया। श्री शंखेश्वर तीर्थ की यात्रा करते हुए पाटण चौमासा किया फिर कच्छ की यात्रा करते हुए सिद्धगिरितीर्थ पालीताणा में चौमासा किया। वहां मालतीबहन के मार्गदर्शन से इसकी शैली में सुधार किया । किन्तु अब मन में योगबिन्दु ही रम रहा था । पू. गुरुदेव की कृपा से यह कार्य संपन्न हुआ पड़ा था किन्तु विषय को प्रस्तुत करते हुए मेरे से कोई गलती न रह गई हो, यह भाव सदा मन में रहा । अतः प्रकाशन कार्य में विलंब होता रहा । सरधार में श्री जितेन्द्रभाई शाह के मार्गदर्शन में पू. मृगावतीजी महाराज के जीवनचरित्र के प्रकाशन कार्य में ही व्यस्त रहे अतः योगबिन्दु का कार्य पुनः आगे बढ़ नहीं पाया। किन्तु मेरे मन में इस ग्रंथ के प्रकाशन की चिंता सतत रहा करती थी । इस ग्रन्थ के प्रकाशन हेतु हमने पुनः श्री जितेन्द्रभाई का संपर्क किया। उन्होंने ग्रंथ के संपादन की जवाबदारी स्वीकार ली हम निश्चित बन गये। एल.डी.इन्स्टिट्यूट ऑफ इण्डोलॉजी के ट्रस्टियों की विनती एवं वर्तमान गच्छाधिपति आचार्य भगवन् श्रीमद् विजय धर्मधुरंधरसूरिजी महाराज की आज्ञा से हमारा सन् २०१६ एवं २०१७ का चातुर्मास अहमदाबाद के इस संस्थान में हुआ। डॉ. श्री जितेन्द्रभाई शाह के मार्गदर्शन में हमने अध्ययन एवं पू. मृगावतीश्रीजी महाराज के मुम्बई में समस्त उपनगरों में दिये गये प्रवचनों का संकलन, कुछ हिन्दी भाषा में दिये गये प्रवचनो का संकलन, पू. महाराजश्रीजी के उपर आये हुए पू. आचार्य भगवन्तों एवं विद्वानों आदि के आये हुए पत्रों का कार्य करने आये थे। जो अभी चल रहा है । हमारा योगबिन्दु का कार्य पूर्ण हो रहा है यह हमारे लिए आनन्द का अवसर है । परम. पू. वर्तमान गच्छाधिपति श्रुतभास्कर, शासन प्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय धर्मधुरंधरसूरीश्वरजी महाराज साहब ने हरिभद्रसूरि रचित योगबिन्दु ग्रंथ के हिन्दी अनुवाद के लिये अपने आशीर्वचन देकर हमारे उपर बहुत उपकार किया है । हम उनके सदा-सदा कृतज्ञ एवं आभारी हैं। २६

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