Book Title: Prachin Stavanavli 23 Parshwanath
Author(s): Hasmukhbhai Chudgar
Publisher: Hasmukhbhai Chudgar

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Page 42
________________ ९०-९२ ૬૬ ९३-९४ ६७ ९५-९६ ६८ ६९ ९८ १००-१०२ १०३-१०४ १०५-१०६ ७३ १०७-१०८ १०९ भवाभिनंदी जीव विवेकी और अच्छे परिणामवाला हो तो उच्च स्थान प्राप्त करता है चरमपुद्गलपरावर्त शेष हो उन जीवों के अतिरिक्त अन्य जीव अध्यात्मभाव नहीं प्राप्त करते योग की प्राप्ति किसको किस प्रकार होती है अध्यात्म की प्राप्ति किस प्रकार होती है इष्ट योग की प्राप्ति अपुनबंधक को होती है अपुनबंधकता कैसी होती है जिनमत को पुष्ट करता गोपेन्द्र योगीराज का वचन प्रकृति का व्यापार जीव को किस तरह काबू में रखता है पुरुष और प्रकृति के अपने-अपने स्वभाव के योग से जीव संसार में परावर्तन करता है अगर प्रकृति को एक ही स्वभाव वाली माने तो क्या-क्या दोष होते हैं ७४ योग्यता वाले पुण्योदयवान जीव ही योग का माहात्म्य प्राप्त करते हैं, और पूर्वसेवा प्राप्त करने का क्रम गुरुवर्ग किसे कहते हैं और उनका पूजन करना चाहिये गुरुवर्ग की सेवा किस तरह करनी चाहिये देवपूजा की विधि कौन से देव पूजा योग्य है सर्वदेव की पूजा से मोक्षमार्ग की साधना किस प्रकार होती है। विशेष प्रकार की धर्मवृत्ति का उपदेश किसे देना पोष्यवर्ग को विरोध नहीं हो उस तरह पात्र को विधियुक्त दान देना पात्र किसे कहा जाय पात्र के अतिरिक्त को भी अनुकंपा से दान देना चाहिये किस प्रकार विधि का पालन कर दान देना दानधर्म की प्रशंसा ७८ ७९ ११०-१११ ११२-११५ ११६ ११७ ११८-११९ १२० १२१ १२२ १२३ ८ १२४ १२५

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