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[१४] श्रीसंघ कि चौमासा कि आग्रह भरी विनंती होने पर और आगमोद्धारक सूरिजी की वांचना का लाभ देखकर संवत् २००५ का चौमासा सुरत में हुआ। चौमासा पूर्ण होने पर गामानुगाम विहार करते गुरुणीजी महाराज अहमदाबाद थे वन्दन करने के लिये वहाँ पधारे । गुरु महाराज की आज्ञा शिरोधार्य करके मालवा की ओर विहार किया। सं. २००६ का चौमासा इन्दौर में किया। चौमासा पश्चात गामानुगाम विहार करते सं. २००७ का चौमासा उज्जैन में हुआ वहां चौमासा में व्याख्यान आदि अनेक धर्म कार्य करते हुये तिलक-मनोहर पूजा महिला मंडल कि स्थापना करवाई । चौमासा पीछे गामानुगाम विहार करते आगर पधारे वहां का मन्दिर जल गया था इसलिये मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये गांव में १५०००) रु. की टीप करवाई और शिखर बंध मन्दिर का कार्य चालु हुआ । श्रीसंघ की अतीव आग्रह भरी विनंती होने पर सं २००८ का चौमासा आगर में हुआ वहाँ उजमणे विगैरे अनेक धर्म कार्य कराते चौमासा पूर्ण हया । गामानुगाम विहार करता उज्जैन में तत्वज्ञश्री कि दीक्षा सुमनश्रीजी के नाम से हई और ऋजुताश्रीजी कि फल्गुश्रीजी के नाम से हई । इन्दौर में नवपदजी कि ओली, वीस स्थानक तप आदि का उजमणा वाले बहिनों-भाईयों की विनंती होने पर इन्दौर पधारे ।