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[३६] संभव वीर सुपास ए जिनना, आठमे च्यवन कल्याण जी । आद्य अजित नमि सुव्रत सुमति, ए आठमे जनमीया जाण जी। चैतर वदि आठमें आदीसर, लहे दीक्षा महानाण जी । पास नेमी अभिनंदन आठमे, पद पाम्या निर्वाण जी ॥२॥ चन्द्रानन वारिषेन आठमे, अष्टमें द्वीप पूजीजे जी । अष्ट प्रकारी पूजा रचीने, अट्ठाई महोत्सव कीजो जी ॥ आठमे स्नात्र अट्ठोत्तरी कीजे, अष्ट करम छेदीजे जी । आठमो अंग उपांग ए आठमे, सांभली शिवपद लीजे जी ॥३॥ शशी वयणि मृग नयणि सुन्दर, देवी सिद्धाई सारी जी । मातंग जक्ष महाबली सुरगुण, सेवित समकितधारी जी ॥ विजयप्रभसूरि ध्यान धरी सदा, शासन सानिध्यकारी जी। प्रेमविबुद्ध शीश दर्शन देजो, सुख संपती हितधारी जी ॥४॥
१५ श्री सीमंधर स्वामी की स्तुति का जोडा श्री सीमंधर देव सुहंकर, मुनि मन पंकज हंसाजी । कुंथु अरजिन अंतर जन्म्या, तिहुअण जस परशंसा जी ॥ सुव्रत नमि अंतर वलि दीक्षा, शिक्षा जगत निराशजी । उदय पेढाल जिनांतरमां प्रभु, जाशे शिववहु पास जी ॥१॥ बत्रीश चउसट्ठी चउसट्ठी मलिया, इगसयसहि उक्किट्ठा जी । चउअड अम डली मध्यम काले, वीश जिनेश्वर दिट्ठा जी ।।