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माल का उत्सव करवाया वहां के श्री संघ की विनंती स्वीकार करके ओच्छव में ठहरे वहां से विहार करते केशरीयाजी पहोंचे वहां आनन्द पूर्वक दर्शन करते हुये उज्जैन कि ओर विहार किया कारण के सुश्रावक बागमलजो ने नयापुरा मन्दिर की प्रतिष्ठा व सिद्धाचलजी के पट की प्रतिष्ठा तपस्या का उजमणा में पधारने की विनंती कि और उज्जैन पधारे और महोत्सव शुरु हुआ । पूज्य आचार्य देवेश चन्द्रसागरजी कि निश्रा में वहां पर दीक्षार्थी बहिनों फूलकुंवर बेन, दाखाबेन और सुन्दरबेन विगैरा कि ७ दीक्षा आचार्य म. के अध्यक्षता में हुई अनुक्रमे विवेकश्रीजी, सुदक्षाश्रीजी और सुन्दाश्रीजी विगैरा नाम प्रकाशित किया । आप साहेब की ११ शिष्या हुई विहार करते आगर के मन्दिर की प्रतिष्ठा करवाने के लिए पधारे और वहां नूतन दीक्षित को आचार्य महाराज ने जोग में प्रवेश करवाया । वहां आनन्द पूर्वक प्रतिष्ठा करवाकर मक्सीजी की यात्रा की व देवास होते हुए इन्दौर पधारे और नूतन सात साध्वीयों कि बड़ी दीक्षा परम पूज्य आचार्य चन्द्रसागरसूरिजी कि निश्रा में इन्दौर में हुई । आचार्य देवेश ने हिंगनघाट की ओर विहार किया । परम पूज्य पन्यासजी मंगलविजयजी म. का चौमासा इन्दौर हुआ और २३ साध्वीयों का उतराध्यान आचारांग का जोग