________________
॥ श्री पार्श्वनाथाय नमः ॥ * भगवान के सामने बोलने की स्तुति ® . श्री तीर्थराज विमला चल नित्य वन्दो,
देखि सदानयणथी जिम पूर्ण चन्दो। सेवे मली सुर नरोवर नाथ जेने,
... धोरी सदा चरण लंछन माही तेने ॥१॥ श्रेयांशने घर विसे रस इक्षु लिधो,
भिक्षाग्रहि निज प्रपौत्र सु पात्र कीधो । माता प्रत्ये विनय भाव धरी प्रभुये,
अप्यु अहो विमल केवल भीविभुऐ ।।२।। सुण्याहसे पुज्याहसे निरख्याहसे पण को क्षणे,
हे जगतबन्धु चित्तमां धार्या नहि भक्ति पणे। जन्म्यो प्रभुते कारणे दुख पात्र आ संसार मा,
हा भक्ति ते फलतीनथी जे भाव सुन्या चारमा ॥३॥ जे द्रष्टि प्रभु दर्शन करे ते द्रष्टिने पण धन्य छे,
जे जीभ जिनवरने स्तवे ते जीभने पण धन्य छे। पीये मुदा वाणी सुदा ते कर्ण युगने पेण धन्य छे,
तुज नाम मंत्र विशद धरे ते हृदयने नित धन्य छे ॥४॥ सहु आत्मना शिरदार हे जगदीश तु एकज सदा,
मुझने मल्यो तु सकल मनने द्रष्टि आपे संपदा । हे नाथ निज सेवक गणी मुझने स्वीकारो स्नेहथी,
तुलना धरू हुँ ताहरी उत्कर्ष पामुजेह थी ॥५॥