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[१३] लेकर आबुजी, तारंगाजी, कुंभारियाजी, गोडवाढ की पंच तीर्थी करते उदयपुर चितौडगढ कि यात्रा करते हुये मंदसौर प्रतापगढ़ विगैर होते हुये रतलाम आये । इन्दौर श्रीसंघ कि आग्रह भरी विनंति होने पर २००१ का चौमासा वहां किया । अनेक प्रकार का धर्म कार्य करते करवाते चौमासा पर्ण किया । गामानुगाम बिहार करते हुए रतलाम श्रीसंघ की अति आग्रह भरी विनंति स्वीकार करते हये २००२ का चौमासा वहां किया और बहिनों को पूजा आदि का शिक्षण कर तिलक पजामहिला मंडल कि स्थापना कि चौमासे बाद अहमदाबाद तरफ बिहार किया कारण कि पू. तपस्वी तीर्थश्रीजी म. के १००मी ओली का ओच्छव था सं० २००३ का चौमासा अहमदाबाद गुरुदेव की छाया में किया चौमासा बाद गुरुदेव की आज्ञा शिरोधार्य करके साध्वीयों को नवाणु यात्रा चौमासा आदि कराने के लिये गिरीराज पहोंचे सं. २००४ का चौमासा वहाँ किया वहां पर फल्गु श्रीजी, सुमनश्रीजी और इन्दुश्रीजी आदि के मासखमण सोलभत्ता आदि तप करवाये पीछे खंभात, झगडिया, काबी, गंधार की यात्रा करते हुए सुरत पहोंचे। कारण की वहां परम पूज्य आगमोद्धारक आचार्य देवेश ताम्र आगम मन्दिर कि प्रतिष्ठा कराने वाले थे और आनन्दपूर्वक प्रतिष्ठा महोत्सव धूमधाम से हुआ फिर वहां के