Book Title: Prabhu Veer ke Dash Shravak
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 20
________________ आनन्द श्रावक . वाणिज्य ग्राम में कोल्लाक सन्निवेश चरम तीर्थनाथ श्री महावीरदेव के दर्शन-स्पर्श प्राप्त करने के पूर्व आनन्द गाथापति में उपलब्धविशेषताओं का जो वर्णन किया गया है, और अब भी वर्णन हो रहा है, वह देखने से धर्म को प्राप्त करने की योग्यता तथा गुणों की महानता का अनुभव हो, होशकता है। धर्म करना.और धर्म को प्राप्त करना इन दोनों के बीच के स्पष्ट भेद को प्रस्तुत करता.हुआ यह दृष्टान्त साधु-श्रावक का जीवन जीनेवाले अपने सब के लिए एकराहबर है। . सूत्रकार महर्षि श्री सुधर्मास्वामीजी महाराज आनन्द गाथापति का वर्णन करते हुए आगे बतलाते हैं कि वाणिज्य ग्राम के नजदीक ईशान दिशा में एक कोल्लाक सन्निवेश(गाँव)है। बह धन-धान्य से समृद्ध है। सर्त प्रकार के भय से मुक्त है। आह्लादक है। अतिशय दर्शनीय है। हर प्रकार की शोभा से युक्त है। प्रभुवीर के दश श्रावक...

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