Book Title: Prabhu Veer ke Dash Shravak
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 42
________________ कामदेव श्रावक पापभीरुता व्यवहार, व्यवसाय और निधानरूप में छः-छः करोड़ स्वर्णमुद्राओं का स्वामित्व धारण करनेवाले कामदेव नामक गाथापति चम्पानगरी के धनाढ्य गृहस्थ थे । राजा जितशत्रु भी उसे सलाहपात्र मानते थे । आबाल गोपाल में वह माननीय व्यक्तित्व धारण करते थे । दस-दस हजार गार्यो के छेः गोकुलों के मालिक थे । अपनी जाति में प्रतिष्ठित और पत्नी भद्रा के लिए आराध्य देव की भांति आदरपात्र थे । ऐसा कहा जाय कि वह हाम-दाम और ठाम से भरपूर थे । लौकिक देव आदि जिस कुल में सहजता से मिल जाते थे, वैसी सामग्रियों के बीच रहते हुए भी आर्यावर्त्त के आर्य संस्कारों से युक्त थे । पापभीरुता आदि गुणों के धारक थे व जो महानुभाव धर्म श्रवण की श्रेष्ठ रुचि धारण करते थे । * प्रभुवीर के दश श्रावक. ३०

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