Book Title: Prabhu Veer ke Dash Shravak
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 82
________________ . Trmmmm नन्दिनीपिता श्रावक सालिहीपिता श्रावक आचार समृद्धि . उपासकों की जीवनकथा का वर्णन करते हुए श्री उपासक दशांग के अन्तिम दो अध्ययन बाकी रह गए हैं, जिसमें दो श्रावकों की बातें हैं। उन दोनों में बहुत सारी समानताएँ हैं। पूर्व में वर्णित महानुभावों के क्रम में ही इन दोनों का वर्णन किया गया है। प्रभु के एक लाख उनसठ हजार श्रावकों में विशिष्ट साधकों के रूप में इन साधकों का वर्णन किया गया है। इन दसों का आदर्श गृहस्थ जीवन श्रावक संघ को बहुत बड़ी प्रेरणा देता है। __ यह जन्म खान-पान और मान-सम्मान के लिए नहीं है। साधुता के द्वारा ही जिस जन्म की सार्थकता है, उस जन्म में यदि साधु न बन सके तो ठीक, श्रावक जीवन भी यदि यथाशक्ति जिया जाए तो निहाल हुआ जा सकता है। यह निर्विवाद है। व्रतधारी और नियमबद्ध श्रावकजीवन जीनेवाले आज कम होते जा रहे हैं यह चिन्ता का विषय है।अरे श्रद्धा की जड़ें ही हिलती जा रही हैं। हम बहुत कुछ सुनाते हैं और आप भी बहुत कुछ सुनते हो, परन्तु इसका परिणाम क्या आता है। इसके परिणाम स्वरूप श्रद्धापूर्वक व्रतों, नियमों तथा अभिग्रहों प्रभुवीर के दश श्रावक... ७०

Loading...

Page Navigation
1 ... 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90