Book Title: Prabhu Veer ke Dash Shravak
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 80
________________ आलोचना प्रायश्चितशुद्धि करने को कहा । " श्री गौतमस्वामीजी वहाँ पधारे । महाशतक आनंन्दविभोर होकर उनका स्वागत करता है । आदरपूर्वक वन्दना कर पर्युपासना करता है । श्री गौतमस्वामीजी महाराज के द्वारा प्रभु महावीर के कहे हुए वचनों को सुनकर पश्चात्ताप पूर्वक आलोचना कर शुद्धि को स्वीकार करता है । दोषों की आलोचना प्रतिक्रमण कर साठ भक्त का अनशनपूर्वक देहत्याग कर समाधिमरण प्राप्त करता है और सौधर्म देवलोक के अरुणावतंसक विमान में उत्पन्न होता है । चार पल्योपम के आयुष्य के बाद महाविदेह क्षेत्र में सर्व कर्मों का क्षय कर मोक्ष में पहुँचेंगे। साधना सरल नहीं है, कँटीले मार्गों से प्रस्थान करना पड़ता है, कोई विरला ही उसके श्रेष्ठ परिणाम को प्राप्त कर सकता है। प्रभुवीर के दश श्रावक ६८

Loading...

Page Navigation
1 ... 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90