Book Title: Prabhu Veer ke Dash Shravak
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 52
________________ KOD 41122 RAK . सुरादेव श्रावक आत्मोन्नति का सोपान - श्री अरिहन्तदेवकी देशना अमोघ होती है। ___ एक-एक गाँव में अनेक राजा-महाराजा, श्रेष्ठि साहुकार और सामान्य मनुष्य अपनी योग्यता के मुताबिक सर्वविरति-देशविरति और सम्यक्त्व के परिणाम या भद्रप्रकृति को प्राप्त करते हैं । प्रभु का विचरण आत्मोन्नति का सोपान है। ... यह देखने प्रभुजी का विचरण क्षेत्र और काल पवित्रता का पुंज.होगा, ऐसी कल्पना होती है। राजा जितशत्रु की वाराणसी नगरी भी प्रभु के प्रभाव से धर्मनगरी बन . गई थी। वहाँ सम्पन्नता में जीनेवाला और मानवता का दीप जलानेवाला सुरादेव नामक एक सद्गृहस्थ रहता था। व्यापार, व्यवसाय और वैभव में लगाई हुई छेः करोड़ स्वर्णमुद्राएँ, दस हजार गायोंवाले छ: गोकुल और एक लघुराजा का मान-सम्मान धारण प्रभुवीर के दश श्रावक ............... ४)

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