Book Title: Prabhu Veer ke Dash Shravak
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 28
________________ / - ANA - .. -- . . --- J . धर्मपत्नी को धर्म की प्रेरणा घर के आँगन में पहुंचते ही उसका स्वागत करने के लिए उसकी पत्नी - शिवानन्दा हाजिर है।स्वामी की आज की प्रसन्नता देखकर पत्नी को भी आश्चर्य होता है। . ... पाद-प्रक्षालन आदि औचित्य का पालन करने के बाद उसने इस प्रसन्नता का कारण पूछा। . . आनन्द श्रावक ने मधुर वाणी में प्रभु की प्राप्ति और धर्म की प्राप्ति की बातें बतलाते हुए कहा. 'देवानुप्रिये आज मैंने श्रमण भगवान महावीर के पास धर्म सुना है। वह मुझे अत्यन्त रुचिकर और इष्ट प्रतीत हुआ। - तू भी प्रभुकेपासजा, उनकी वन्दना कर, पर्युपासना कर और पाँच अणुव्रत तथा सात शिक्षाव्रत स्वरूप धर्म का स्वीकार कर ।' यहाँ वह कर्तव्य के स्वरूप में प्रेरक बने है, एकदम से आज्ञा नहीं की है। हाँ रुचि जगाने का प्रयत्न अवश्य किया है। प्रभुवीर के दश श्रावक ....... १६

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