Book Title: Prabhu Veer ke Dash Shravak
Author(s): Shreyansprabhsuri
Publisher: Smruti Mandir Prakashan

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Page 21
________________ जिसे हम शहर का उपनगर कहते हैं, ऐसा एक छोटा सा गाँव था। . वहाँ आनन्द की जाति के अनेक स्वजन थे। वे भी सुख-समृद्धि से युक्त थे। जिसमें काका, मामा, श्वसुर पक्ष और दास-दासी आदि का भी समावेश होता था। प्रभु वीर का पदार्पण आर्यावर्त की गौरवमयी संस्कृति से गुणसमृद्ध जीवन जीनेवाले, सुख-साधन सम्पन्न और बल-बुद्धि से सुशोभित आनन्द गाथापति था, उस समय भरतक्षेत्र की पुण्यभूमि को पावन करते हुए भगवान महावीरदेव एक गाँव से दूसरे गाँव क्रमशः- पादविहार करते हुए चैत्यमंडित दूतिपलाश उद्यान में पधारे। प्रभु के साथ श्री गौतमादि हजारों श्रमण थे। . श्री चन्दनबाला आदि विशाल श्रमणी परिवार भी था। कम से कम एक करोड़ देवता प्रभु की सेवा में संदा उपस्थित रहते थे। तीनों लोक एकत्र हो गया हो, ऐसा वातावरण बना हुआ था। राजा और प्रजा प्रभु की वन्दना करने और उनके श्रीमुख से धर्म वचन का श्रवण करने जा रहे थे। . 14 २RMind )) . ull hd ANYYVल Vand सअरला मालामाल anSkON INSTRORATE .. . ... प्रभुवीर के दश श्रावक

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