Book Title: Parmatmaprakash
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 26
________________ -257 : २-१२३ ] परमप्प-पयासु २३ 247) जोइय लोहु परिच्चयहि लोहु ण भल्लउ होइ । लोहासत्तउ सयलु जगु दुक्खु सहतउ जोइ ॥११३॥ 248) तलि अहिरणि वरि घण-वडणु संडस्सय-लुंचोडु । लोहहँ लग्गिवि हुयवहहँ पिक्खु पडतउ तोडु ॥११४॥ 249) जोइय णेहु परिच्चयहि णेहु ण भल्लउ होइ। णेहासत्तउ सयलु जगु दुक्खु सहंतउ जोइ ॥११५॥ 250) जल-सिंचणु पय-णिद्दलणु पुणु पुणु पोलण-दुक्खु । हहँ लग्गिवि तिल-णियरु जंति सहंतउ पिक्खु ॥११६॥ 251) ते चिय धण्णा ते चिय सप्पुरिसा ते जियंतु जिय-लोए। वोद्दह-दहम्मि पडिया तरंति जे चेव लीलाए ॥११७।। 252) मोक्खु जि साहिउ जिणवरहिँ छंडिवि बहु-विहु रज्जु । भिक्ख-भरोडा जीव तुहुँ करहि ण अप्पउ कज्जु ॥११८॥ 253) पावहि दुक्खु महंतु तुहुँ जिय संसारि भमंतु । अट्ठ वि कम्मइँ पिद्दलिवि वच्चहि मुक्खु महंतु ११९॥ 254) जिय अणु-मित्तु वि दुक्खडा सहण ण सक्कहि जोइ । चउ-गह-दुक्खहँ कारणई कम्मई कुणहि किं तोइ ।।१२०॥ 255) धंधइ पडियउ सयलु जगु कम्म' करइ अयाणु । मोक्खहँ कारणु एक्कु खणु णवि चितइ अप्पाणु ॥१२१॥ 256) जोणि-लक्खइँ परिभमइ अप्पा दुक्खु सहंतु । पुत्त-कलत्तहिँ मोहियउ जाव ण णाणु महंतु ।।१२२॥ 257) जीव म जाणहि अप्पणउँ घरु परियणु इछ । कम्मायत्तउ कारिमउ आगमि जोइहिं दिठ्ठ ।।१२३।। 247) c सयल जग दुक्ख. 248) Wanting in TKM; C पिक्ख. 249) Wanting in TKM%B C परिच्चयह, भल्ला. 250) Wanting in TKMB C दुक्ख and पिक्ख. 251) BC सउरिसा: TKM चोद्दहदकम्मे पडिया; Brahmadeva वोदह. 252) TKM छड्डवि बहुविहरज्जु. (A also); TKM भिक्खु भरोडा काइ जिय करहि ण अप्पण कज्जु । 253) TKM संसारे; A णिद्दलेवि. TKM णिद्दलवि; AB पावहि for वच्चहि; TKM अणंतु for महंतु. 254) TKM अणुमेत्त वि, सहणु ण सक्कइ लोउ, कम्मइ करहि जि ताइ. 255) TKM दंदे (धंधे ?), अजाणु. 256) TKM जोणिहि लक्खहि. BC जोणिहि लक्खइं, TKM ताण ण बोह महंतु (last foot). 257) TKM जिय मं नाणहि जाणिहि; TKM आगमे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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