Book Title: Parmatmaprakash
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 33
________________ जोइंदु-विरइउ [329-:२-१९१329) घोरु करंतु वि तव-चरणु सयल वि सत्थ मुणंतु । परम-समाहि-विवज्जियउ णवि देवखइ सिउ संतु ॥१९१॥ 330) विसय-कसाय वि णिद्दलिवि जे ण समाहि करंति । ते परमप्पहँ जोइया णवि आराहय होति ॥१९२॥ 331) परम-समाहि धरेवि मुणि जे परबंभु ण जंति । ते भव-दुक्खइँ बहुविहह कालु अणंतु सहति ॥१९३॥ 332) जामु सुहासुह-भावडा णवि सयल वि तुटुंति । परम-समाहि ण तामु मणि केवुलि एमु भणंति ॥१९४॥ 333) सयल-वियप्पहँ तुट्टाहँ सिव-पय-मग्गि वसंतु । कम्म-चउक्कइ विलउ गइ अप्पा हुइ अरहंतु ॥१९५॥ 334) केवल-णाणि अणवरउ लोयालोउ मुणंतु । णियमे परमाणंदमउ अप्पा हुइ अरहंतु ॥१९६।। 335) जो जिणु केवल-णाणमउ परमाणंद-सहाउ । सो परमप्पउ परम-परु सो जिय अप्प-सहाउ ।।१९७।। 336) सयलहँ कम्महँ दोसह वि जो जिणु हेउ विभिण्णु ।। सो परमप्प-पयासु तुहुँ जोइय णियमें मण्णु ॥१९८॥ 337) केवल-दसणु णाणु सुह वीरिउ जो जि अणंतु । सो जिण-देउ वि परम-मुणि परम-पयासु मुणंतु ॥१९९॥ 338) जो परमप्पउ परम-पउ हरि हरु बंभु वि बुद्धु । परम-पयासु भणंति मुणि सो जिण-देउ विसुद्ध ॥२००॥ 339) झाणे कम्म-क्खउ करिवि मुक्कउ होइ अणंतु । जिणवरदेवई सो जि जिय पणिउ सिद्ध महंतु ॥२०१॥ 329) B तवयरणु; TKM सयलुवि सत्थु पढंतु; TKM देक्खइ, C देषइ. 330) TKM णिद्दलवि. 331) TKM परबम्हु. 332) AB जाम्ब, एम्व (for एमु); TKM जाव, भावडउ, केवलि एहु. 333) TKM तुट्टाहिं °मग्गे; चउक्क इ TKM चउक्के विलउ गए; ATKM होइ. 334) TKM ‘णाणे, Cणाणई C णियमई; TKM होइ. 335) Wanting in TKM; BC परमाणंदमउ. केवलणाणसहाउ After this C has an additonal verse which is the same as the one quoted in the Com. on this verse. 336) TKM सयलहिं कम्महि दोसहि; A जिणदेउ; C णियमि. 337) BC °दसणणाणु; TKM सुई वीरिय जोज्जि. 338) Wanting in TKM. 339) AC झाणि; TKM कम्मह खउ करिवि, जिणवरदेवें, भणियउ for भगिउ. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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