Book Title: Parmatmaprakash
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal

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Page 25
________________ २२ जो इंदु-विरइ 236 ) जो णवि मण्णइ जीव जिय सयल वि एक्क-सहाव । तासु ण थक्कइ भाउ समु भव- सायरि जो णाव ।। १०५ || 237) जीवहँ भेउ जि कम्म- किउ कम्मु वि जोउ ण होइ । जेण विभिण्णउ होइ तहँ कालु लहेविणु कोइ ॥ १०६ ॥ 238) एक्कु करे मण बिण्णि करि मं करि वण्ण-विसेसु । इक्कइँ देवइँ जे वस तिहुयणु एहु असेसु ॥ १०७ ॥ (239) परु जाणंतु वि परम- मुणि पर- संसग्गु चयंति । पर-संगई परमप्यहँ लक्खहँ जेण चलति ॥ १०८ ॥ 240) जो सम-भावहं बाहिरउ तिं सहु मं करि संगु । चिता - सायरि पडहि पर अण्णु वि डज्झइ अंगु ॥ १०९ ॥ (241) भल्ला विणासंति गुण जहँ संसग्ग खलेहिँ । वइसारु लोहहँ मिलिउ तें पिट्टियइ घणेहिं ॥ ११० ॥ 242) जोइय मोहु परिच्चयहि मोहु ण भल्लउ होइ । महासत्त सलु जगू दुक्खु सतउ जोइ ॥ १११ ॥ 243) काऊण जग्गरूवं बीभस्सं दड्ढ-मडय-सारिच्छं । अहिलससि किं ण लज्जसि मिक्खाए भोयणं मिट्ठ ॥ १११*२ ॥ 244) जइ इच्छसि भो साहू बारह - विह-तवहलं महाविउलं । तो मण वयणे काए भोयण-गिद्धी विवज्जेसु ।। १११*३॥ 245) जे सर्रास संतुट्ट-मण विरसि कसाउ वर्हति । ते मुणि भोयण-धार गणि णवि परमत्थु मुणंति ॥। १११४ ॥ 246 ) रुवि पयंगा सद्दि मय गय फासहि णासंति । अलिउल गंधइ मच्छ रसि किम अणुराउ कति ॥ ११२ ॥ (236) A इक्क, TKM भवसायरे जिव णाव. 237 ) TKM भेउ वि दर्ताह, TKM तहुं for तहं. 238) TKM करि मं; B एक्कि देवि, TKM एक्के देवे जे; TKM एउ for एहु. 239 ) TKM परसंगहि. (240) TKK ते सह मक्करि, चिंतासायरे परिपडहि अण्णु; A सहो for सहु. 241 ) TKM भल्लाहि वि णासंते; BC खलेण and घणेण. 242 ) TKM भल्ला 243 ) Wanting in TKMBC ; Brahmadeva बीभत्थं (च्छं ? ) 244 ) Wanting in TKMBG ; A तवहं फलं 245 ) Vanting in TKM. 246 ) TKM रूवे, सद्दे....पासहि, ABC फासइ; TKM किव तहिं संतु रमंति for किम अणुराउ करंति. Jain Education International [ 236 : २-१०५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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