Book Title: Parmatmaprakash
Author(s): Yogindudev, A N Upadhye
Publisher: Paramshrut Prabhavak Mandal
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-280 : २-१४३ ]
परमप्प-पयासु 270) जेण ण चिण्णउ तवयरणु णिम्मलु चित्तु करेवि ।
अप्पा वंचिउ तेण पर माणुस-जम्मु लहेवि ॥१३॥ 271) ए पंचिदिय-करहडा जिय मोक्कला म चारि।
चरिवि असेसु वि विसय-वणु पुणु पाडहि संसारि ॥१३६।। 272) जोइय विसमी जोय-गइ मण संठवण ण जाइ ।
इंदिय-विसय जि सुक्खडा तित्थु जि वलि जाइ ॥१३७।। 273) सो जोइउ जो जोगवइ दसणु णाणु चरित्त ।
होयवि पंचहँ बाहिरउ झायंतउ परमत्थु ॥१३७%५॥ 274) विसय-सुहई बे दिवहडा पुणु दुक्खहँ परिवाडि ।
भुल्लउ जीव म वाहि तुहुँ अप्पण खंधि कुहोडि ।।१३८।। 275) संता विसय जु परिहरइ बलि किज्ज हउँ तासु ।
सो दइवेण जि मुंडियउ सीसु खडिल्लउ जासु ॥१३९॥ 276) पंचहँ णायकु वसिकरहु जेण होंति वसि अण्ण ।
मूल विट्ठइ तरु-वरहँ अवसई सुक्कहिं पण्ण ॥१४०।। 277) पण्ण ण मारिय सोयरा पुणु छट्टउ चंडालु ।
माण मारिय अप्पणउ के व छिज्जइ संसारु ॥१४०*१॥ 278) विसयासत्तउ जीव तुहुँ कित्तिउ कालु गमीसि ।
सिव-संगमु करि णिच्चलउ अवसई मुक्खु लहीसि ॥१४१॥ 279) इहु सिव-संगमु परिहरिवि गुरुवड कहिँ वि म जाहि ।
जे सिव-संगमि लीण णवि दुक्खु सहंता वाहि ॥१४२॥ 280) काल अणाइ अणाइ जिउ भव-सायरु वि अणंतु ।
जीवि बिणि ण पत्ताइँ जिणु सामिउ सम्मत्तु ।।१४३॥
270) Wanting in TKM, C तवचरणु. 271) Wanting in TKM%B C असेस वि. 272) Wanting in TKM; A संठवणु, BC बलि बलि तित्थु जि जाइ. 275) Wanting in TKMB. 274) Wantnig in TKM; C अप्पा खंधि. 275) Wanting in TKM; Brahmad va जो for जु,c दइवेणु. 276) Wanting in TKM; 277) Only in P, P अप्पणु 278) In TKM Ihis Comes after 280; BC अवसई मोक्ख. 279) Wanting in TKM; BC एहु for इहु. 189) TKM जीवे बेण्णि ण पत्ताइ सिउ संगउ सम्मत्त ; C जिणसामिउ, Brahmad va सिवसंगमुसम्मत्तु .
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