Book Title: Panchsutra Varttikam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Agamoddharak Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 11
________________ ASSAGENDANIROENSENC पूज्यागमोद्धारकाचार्यश्रीआनन्दसागरसूरीश्वराणां स्तुत्यष्टकम् श्री - जैन- शासन-नभो - मिहिरायमाणं, सज्ज्ञान - संयम - शमादि-गुणाम्बुराशिम् । आप्तागमोद्धृतिकरं, कृत—भूप-बोधमानंद - सागरगुरुं प्रणमामि सूरिम् ॥१॥ आसीज्जनुः कपडवंज - पुरे यदीये, नाम्ना च यस्य यमुना जननी सुशीला । श्री मग्नलाल इति यज्जनकः प्रशांत, आनन्द - सागरगुरुं प्रणमामि सूरिम् ॥२॥ यो वैक्रमे मुनि-युग-क-मृगाङ्क (१९४७) वर्षे झव्हेर- - सागर - मुनीश्वर - पादपद्मे । आदत्त चारु चरणं शिववर्त्म धीरम्, आनन्द - सागरगुरुं प्रणमामि सूरिम् ||३|| प्राचीन - पुस्तक - समुद्धरणाय देव - चन्द्रादि-नाम-कलितः प्रथितः सुकोशः । यस्योपदेशमधिगम्य जनिं प्रपन्न - आनन्द - सागरगुरुं तमहं वन्दे ॥४॥ प्राज सदुपदेशमवाय यस्य श्री आगमोदय समित्यभिधा सुसंस्था । सिद्धांत - वाचन - प्रकाशन - कारिका श्री आनन्द-सागरगुरुं तमहं वन्दे ॥ ५ ॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 193