Book Title: Panchsangraha Part 10
Author(s): Chandrashi Mahattar, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Raghunath Jain Shodh Sansthan Jodhpur
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जैन समाज के चमकते सितारे, धर्मनिष्ठ, समाज रत्न, पूज्य गुरुदेव श्री मरुधर केसरी जी म सा के अनन्य भक्त
श्री बादलचन्द जी सा० कांकरिया
सुडौल बदन, लम्बा कद, हंसमुख, राजसी दमक, साफे के खिचे हुए पेच, वाणी में ओज और बात के धनी सेठ सा० श्री बादलचन्द जी कांकरिया उन चमकते हुए सितारों में से एक हैं जो विकास के क्षेत्र में धरती से उठे और आसमान को छकर रहे । जीवन में संघर्षों के साथ खेले और हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त की।
आपका जन्म संवत् १९८१ में राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र में प्रसिद्ध पीपाड़ सिटी के निकट चौकड़ीकला में हुआ। पिता श्री हस्तीमलजी कांकरिया की गोद में आपने बहुत कुछ सीखा। बचपन से ही आप में खानदानी सुसंस्कार पड़े हैं । आपका शुभ विवाह बादामकबर बाई जी से हुआ।
साधारण सी शिक्षा के बाद सन् १९६३ में आप मद्रास पधारे एवं इन्श्योरेन्स कम्पनी में साधारण सी सर्विस की। अपनी प्रखर बुद्धि, उच्च शालीन व्यवहार, विशिष्ट सम्पर्क तथा मेहनत और ईमानदारी से कार्य करते रहे । भाग्य ने भी पूरा-पूरा साथ दिया और सन् १९८४ में आपने नेशनल इन्श्योरेंस कम्पनी में मैनेजर का पद प्राप्त कर लिया ।
हजारों के बीच में एक ही व्यक्तित्व के धनी श्री कांकरिया जी ने जीवन में भारी उतार-चढ़ाव देखे, पर कभी भी हिम्मत नहीं हारी। आगे ही बढ़ते रहे। धर्म का रंग रग-रग में समाया हुआ था । श्रमणसूर्य मरुधर केसरी श्री मिश्रीमल जी म. सा. के प्रति आपकी पूरी आस्था एवं निष्ठा रही है । सम्पूर्ण परिवार गुरुदेव श्री का अनन्य भक्त है एवं गुरुदेव श्री के संकेत मात्र पर सर्वस्व न्यौछावर करने के लिये सदैव आगे रहते हैं।
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