Book Title: Padmapuran Bhasha Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay View full book textPage 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पद्म पुरा ॥ ६ ॥ ११४ श्री रामचन्द्र का सेना सहित लंका पर चढ़ाई करना ११५ विभीषणका रामसे मिलाप १७६ भामण्डलका सेना सहित राम पे भावना €93 €99 १99 प्रक्षोहिणी का परिमा १८ रामलक्षमण का रावणके साथ युद्ध और अनेक सामन्तों का मारा जाना ६८६ १७९ लक्षमण के रावणका शक्तिबाया लगमा १० मादक का प्रयोध्या जाकर भरत की सर्व डाल सुनाना और विशल्पाको शक्ति निवार्यार्थ लक्षमा के निकट लेजाना और विशल्या के प्रभावकर लक्षमण के शरीर से शक्ति का निकलना और वि हया से लक्ष्मणका बिवाह होना १८९ रावणका संधी के अर्थ दू को राम पे भेजना संधी न होने कारण रावण का भय के बश होय बहुरूपणी विद्या साधने में उद्यमी होना ર १२ १२२ १२६ www.kobatirth.org १८२ लक्षमा का गवरा की विद्या भंगकरनेको सामन्तों को लंका भेजना परन्तु राधय को विद्या हो और युटुका आरम्भ १३८ १८३ लक्षमासे वाक माराजाना 999 १९४ श्रीरामका मीतासे मिलाप १८५ नारदका कौशल्या सुमित्रा के १९ शोकका समाचार रामपरलामा ८१२ १८६ रामलक्षमणका अयोध्या गमन८१ल १८७ रामलक्षमणका माताश्रों से मिलाप८२१ ९८८ देशभूषण कुलभूषणका अयोध्या में उपाख्यान ८३३ १८९ भरत का अपने और लोक महन हा थोके पर्व भव सुनकर विरक्त तो अन्य गजाव सहिन जिनदीक्षा लेना १९० रामलक्षमका राज्याभिषेक ४ १९९ मधुको जीत शत्रुघ्नका यथुरा में राज्य ८४४ ८५९ पांचवां महा अधिकार लव अंकुशका वृत्तान्त १९२ लवणांकुशका गर्भ में जाना १९३ रामको मीता का परित्याग सोनाका वन में विलाप १९४ राजा बनजंघ का सीता को कपुर ले जाना For Private and Personal Use Only ८७४ c9c සල්ලි Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९५ सेनापतिका सीमाको भयानक नमें छोड़ने की रामको खबर देना रामका उपाकुल हो यरुदनकर ना ९०५ १९६ लवणांकुशका जन्म ११ १९७ लवणांकुश को अयोध्या पर कढ़ाई १९८ लवलाकुश का रामलक्षमया से मिलाफ १९९ सीताका अग्निकुण्ड प्रवे और अग्निका कमलों सहित सरावर होजाना २०० मीताका दीक्षालेना ९५१ २०९ मलभूषा केवलका व्यायाम ९५४ २०२ कृतक रामके सेनापतिका जिनदीक्षा लेना २२ २०३ लक्षमा के पत्रों का वर्णन और दीक्षा लेना २०४ भामहल का भव वर्णन ३६ CC १००७ १०१४ १०१७ २०५ हनुमान का दीक्षा लेना २०६ लक्षमण को मृत्यु और लब अंकुशका दोता लना छठा महाअधिकार रामचन्द्र १०२७ जीका निर्वा २०७ रामका दीक्षा लेना १०५०Page Navigation
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