Book Title: Padmapuran Bhasha Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay View full book textPage 7
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra पा पुराण 118 11 १०५ पवनंजय का अंजनी से मिलाप ३३३ ९०६ हनुमान का रावण की मदद करना और बरुण को जीतकर रावण के सनमुख लाना १०७ हनुमान का रावणकी भानजी से विवाह ३४९ ९०८ चौबीस तीर्थंकरों का पर्व सवादि afe मकल वर्णन १०० पल्य मागर अवसर्पिणी और सर्पिणी कालका बर्यान ११० चौबीस तीर्थंकरोंके जन्म काल में अन्तर १११ पांचवें और छटे काल का वर्णन ३५९ १९२ चौबीस तीर्थंकरों के शरीर की ३५० ऊंचाई और त्रायुका वर्णन ३५२ ११३ चौदह कुलकरों की आयु और काय का वर्णन ३३५ १९६ नत्र बलभद्रों का वर्नन १९१ प्रति नारायणों का वर्तन ३४१ ३४४ ३५३ ९९४ बारह चक्रवर्तियों का वर्नन ३५४ १९५ नव बासुदेवों का वर्नन www.kobatirth.org | ११८ हरिवंश की उत्पत्तिका वर्मन ३६३ | १३२ पर स्त्री रमता राजा कुण्डल १९९ श्रीमुनि सुव्रतनाथ तीर्थंकर मंडित और पिंगल ब्रह्मया का वर्नन का वर्तन १२० राजा जनक की उत्पत्ति १२९ राजा बज्रबाहु का वर्तन १२२ कीर्तिघर और सुकौशल ि का वनंन १२३ राजा हिरण्यगर्भ का वर्तन १२४ मनुष्य भक्षी राजा सौदास का वर्तन १२९ केकई के वर का दशरथ के धरोहर रखना ३८३ ९२५ राजा दशरथ का वर्णन ३८५ १२६ रावणका कृत्रिम दशरथ औरजनक ६८६ १२७ के सिर को कटवाना १२० राजा दशरथ से केकईको स्वयंबर में परणना ३८१ ९३० श्री रामचन्द्र लक्ष्मण भरत और शत्रुघन का जन्म ३५० ३६९ | १३१ भामण्डल और सीताकी उत्पत्ति ३६२ काव ३६३ TE ३६७ For Private and Personal Use Only ३१३ ३८९ ३९२ ३९५ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४०१ १३३ नरकों के दुःखों का वर्नन १३४ देव से भामण्डल का हरन १३५ जानकी का वर्जन १३६ राम लक्ष्य कर अन्तगत म्लेक्ष का जीतना १३७ सीता का चित्र देख भामण्डल का उसपर आसक्त होना १३८ मयासई कोडे से जनक को उड़ाकर रथन पर लेजाना १३९ चन्द्रगति का भामंडल को परगावने के अर्थ जनक से सीता का मागना ७७ ९४० स्वयम्बर में सोता कर राम को वरना १४१ सुप्रभा के पास रख कर गन्धोदक देश से लाना १४२ राजा दशरथ का मुनिराज से धर्म श्रवण करना ४०२ ४०० ४१० ४१३ ४१४ ४२० ४२४ ४२७ ४३५ ४४० ४४५Page Navigation
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