Book Title: Padmapuran Bhasha
Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay
Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay

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Page 5
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पद्म ४२ सगर चक्रवर्ती सुलोचन सहस्र ५२ राजा इन्द्रका जन्म और कर्णन १९३ [ ६३ रावण का छह हजार कन्याओं से पुराणा ४३ मेघबाहनको लंका और पाताल ५३ इन्द्र और माली मुमाली का गन्धर्व विवाह । १४२ ॥२ लंकाका राज्य भीम सुभीमसेदेना ६४ युद्ध और मालीका मारा जाना ११७६४ कुम्भकण विभीषण का विवाह १४५ ४४ चौबीस तीर्थकर १२ चक्रवतिर ५४ सुमालीका लंका छोड़ पाता ६५ इन्द्रजीत और मेघनादका जन्म १४५ नारायण प्रतिनाराया बल | लंका में भागना ६६ रावण का वैश्रवण को युद्ध में जीत भद्र का कथन ६६ ५५ इन्द्रसे सौम वरुण कुवेर और ___ लंका को गमन करना। १४६ नयन मेघवाहन भावनिचन्द्र यमकोलोकपाल थापना ६७ वैश्रवण का दीक्षा घर मोक्ष पाना १५१ श्रावली की कथा ६ ५६ इन्द्र से वैश्रवण को लंकाके " रावणकाराक्षसबंशमें उत्तमपदपाना१५२॥ ४५ राजा महा रक्ष का वर्णन ६ थाने राखना १२९ ६८ हरिषेण चक्रवर्तीका चरित्र १५३ ४६ अजित नाथ का निर्वाण सगर ५७ सुमाली के रत्नश्रवा पुत्र का ६९ रावणका त्रैलोक्यमयडल हस्ती को के पुत्रोंको कैलाशके गिरदखाई - जन्म होना वश करना। १६० | खोदते मृत्यु ०५८ रत्नश्रवा के रावण कुम्भकर्ण ७० रावण का यम से युद्ध और यम ४७ लंकाकेविद्याधर राजाओंका वर्णन ७२ विभीषण का जन्म होना १२५ ___ का भागना। १६२ ४८ श्रुत सागर मुनि का धर्मोपदेश ५ वैश्रवण को जाते हुए देखकर १ रावण का सर्यरज को किहकन्धपुर और महारिक्ष राजाका वैराग्य १४ रावण का माता से पूछना १२५ और रक्षर को किहकपुर का ve बानरद्वीपौरबानरवंशी राजावों रावण कुम्भकर्ण और विभीषण राज्य देना। ___ का वर्णन ० का विद्या साधना ७२ रावण का लंका में प्रवेश १६७ ५० धौपदेश और नरकादिकगति ६१ रावणका सहस्रों विद्या साधन ३ बाली सुग्रीव नल और नील की। के दुःखों का वर्णन ९५ | कर माता पिता प्रादिसे मिलना १३१ उत्पक्ति ५१ श्रीमालाकास्वयंवर और किहकंध ६२ राजा मय की पुत्री मन्दोदरी से ३४ चन्द्रनखाको खरदूषस का हर ना १० का विजयसिंह से युद्ध रावण का विवाह । ७ ७५ चिराधित की उत्पत्ति For Private and Personal Use Only

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