Book Title: Padmapuran Bhasha Author(s): Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay Publisher: Digambar Jain Granth Pracharak Pustakalay View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पुराणा || ७६ रावण का बालीपर चढ़ना और | रावण का मरुत को वश करना ६ पवन शुक ( वायकुमार ) और । बाली का दीक्षा लेना। १२ और उसकी पत्नी से विवाह २१० अंजनी का वशान्त २१५ ७७ रावणका कैलाश को उठावना ८ गजा मधु से कृतचित्रा रावण की ८७ पधनञ्जय की कम चेष्टाकावन २० और बालो मुनि का अगट से पत्रो का विवाह २१५८ पवनंजयका अंजनीपर कोप २८३ दवाना १७६ राजा सुमित्र से भील पत्री का पवनंजय का अंजनी से विवाह ७८ घरगोन्द्रका राबणाकोशक्तिकादेना१८२ विवाह और मधु को त्रिशूलकी कर उमको तज युद्ध में जाना २८८ 9 बाली मुनिका निर्वाण १८३ प्राप्ति २१६ १०० पवनंजय का युद्ध से अंजनी के ८० सुग्रीव और सुतारा राशीके अंग ८० उररम्भा का रावया पै आना ___ महल में माना और अंजनीको ___और मङ्गद का जन्म । १८४ और रावणका नलकूबर को गर्भ रहना। ८१ गवगा का इन्द्र पर चढ़ाई करना १८५ जीतना २२० १०१ अंजनी को सासू का घर से ८२ रेवा नदी पर बाल के चखतरे पर १ रावण का दुन्द्र से यद्ध २२५ निकालना रावणा को पूजा में विघ्न और ९२ रावण कर युद्ध में इन्द्र को पकड़ १०२ अंजनी को गंदर्भ देवका सिंहसे __ सहस्रनय से युद्ध। १८ लडा में ले जाना २३५ बचाना और रक्षा करना और ८३ राजा बसु क्षार कदम्ब ब्राह्मण और नारद पर्वत की कथा और ९३ सहस्रार का लङ्का में जाकर इंद्र हनुमान का गुफा में जन्म ३१६ यज्ञ का वर्णन का छुड़वाना और इंद्र का दीक्षा १०३ राजा प्रतिसूर्य का अजनीको ४ यज्ञ के विषय नारद और २३७ | पुत्रसहितहमूहाद्वीपमें लेजाना३२१ पर्वत का संवाद १८७ ८४ केवली कर धर्मापदेश और १०४ पवनंजय का रावन की मदद ८५ नारद मुनि की उत्पत्तिका वर्णन २०१ ___चतुर्गति के दुःखों का विशेष कर बरुणको जीत घर वापिस ८६ राजा मरुत के यज्ञ में नारद का वर्णन २४४ भाकर अंजनी को न देख उनके जाना और रावणका मरुत के लप रावण का केवली के सम्मुख दृढ़ बिरह से रुदन करते हुये यज्ञ का विध्वंस २०३ म्येम धारण करना बनों में फिरना ३२७ लेना। For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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