________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
Marvverurvashvvv
व्यवहारनय का उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरणवनस्पतिं गृहाणेति, प्रोक्तं गृह्णाति कोऽपि किम् ? विना विशेषान्नानादींस्तन्निरर्थकमेव तत् ॥६॥
अर्थ "वत्स ! वनस्पति ले आओ, किसी के ऐसा कहने पर क्या वह [श्राम या जामुन का नाम लिए विना] किसी आम
आदि फल-विशेष को ला सकता है ? कदापि नहीं । अतः विशेष के विना सामान्य निरर्थक ही है ?
विवेचन इससे पहले श्लोक में कहा गया था कि "विशेष के विना सामान्य गधे के सींग की तरह असत् है।" प्रस्तुत श्लोक में इसी बात का विशेष खुलासा करते हुए कहा गया है कि "जैसे किसी पिता ने अपने पुत्र से कहा-'वत्स ! वनस्पति ले आओ।' क्या वह आम अथवा नीम आदि विशेषों का नाम लिये विना किसी फल-विशेष को ला सकता है ? कदापि नहीं । क्योंकि किसी भी विशेष वनस्पति का नाम उसे बतलाया नहीं गया है। यदि कोई कहे कि विशेष को छोड़कर सामान्य वनस्पति को ले आए, तो २२ ]
For Private And Personal Use Only