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प्रकार भविष्य में किसी व्यक्ति को राज- पद मिलने की सम्भावना हो, तो भी उस भविष्य की राज्यावस्था से वर्तमान काल में कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता। अतः वर्तमानकालीन वस्तु ही कार्य - साधक होने से वस्तु है ।
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एक बात और वर्तमान काल में भी अपनी वस्तु ही कार्य - साधक हो सकती है, दूसरे की नहीं । यज्ञदत्त का धन यज्ञदत्त के काम आ सकता है, देवदत्त का नहीं । अतः परकीय वस्तु भी पर धन की तरह निष्प्रयोजन है ।
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