Book Title: Naykarnika
Author(s): Vinayvijay, Sureshchandra Shastri
Publisher: Sanmati Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ANAANRANN कारण पट कहलाता है । कुम्भ और पट इन दोनों शब्दों के प्रवृत्ति-निमित्त [व्युत्पत्ति और शब्द भिन्न होने पर भी दोनों के अर्थ में कोई भेद नहीं होना चाहिए, यानी दोनों एकार्थक होने चाहिएँ । पर, लोक में दोनों एकार्थक नहीं हैं, भिन्नार्थक हैं; क्योंकि दोनों के पर्याय = प्रवृत्ति-निमित्त भिन्नभिन्न हैं। इसी प्रकार कुम्भ, कलश और घट की पर्याय [व्युत्पत्ति भिन्न-भिन्न होने से उनके अर्थ भी भिन्न-भिन्न स्वीकार करने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए-यही प्रस्तुत पद्य का आशय है। -*: ४२] For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95