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क्रिया का न होना दोनों जगह समान है। अर्थात जैसे जलाहरण क्रिया से शून्यः 'घट' शब्द घट का वाचक है, वैसे ही जलाहरण क्रिया से शून्य पट का वाचक भी 'घट' शब्द को मानना चाहिए । घट-क्रिया से शून्य घट और पट दोनों में पक्ष-समता है । पर, लोक में 'घट' शब्द पट का वाचक नहीं माना जाता; क्योंकि दोनों की क्रिया अलगअलग है। __ सारांश यह है कि जलाहरणादि अपनी क्रिया करता हुआ घट ही 'घट' कहला सकता है। सेवा करता हुआ व्यक्ति ही 'सेवक' कहला सकता है, अन्यथा नहीं।
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