Book Title: Naykarnika
Author(s): Vinayvijay, Sureshchandra Shastri
Publisher: Sanmati Gyanpith

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Page 70
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir क्रिया का न होना दोनों जगह समान है। अर्थात जैसे जलाहरण क्रिया से शून्यः 'घट' शब्द घट का वाचक है, वैसे ही जलाहरण क्रिया से शून्य पट का वाचक भी 'घट' शब्द को मानना चाहिए । घट-क्रिया से शून्य घट और पट दोनों में पक्ष-समता है । पर, लोक में 'घट' शब्द पट का वाचक नहीं माना जाता; क्योंकि दोनों की क्रिया अलगअलग है। __ सारांश यह है कि जलाहरणादि अपनी क्रिया करता हुआ घट ही 'घट' कहला सकता है। सेवा करता हुआ व्यक्ति ही 'सेवक' कहला सकता है, अन्यथा नहीं। For Private And Personal Use Only

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