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शक्र और पूर्वारणात् पुरन्दरः = दैत्यों के नगर का नाश करने से पुरन्दर कहलाता है ।" इन्द्र, शक्र और पुरन्दर पर्यायवाची होते हुए भी व्युत्पत्ति-भेद से भिन्न-भिन्न अर्थ के प्रतिपादक हैं- ऐसा समभिरूढ़ नय का कथन है ।
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