________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
..............
अर्थात् जिस रोग के लिए जिस औषधि के प्रयोग की आवश्यकता हो, तो उस औषधि का नाम लेने से ही औषधि उपलब्ध हो सकती है । केवल, बाजार में वैद्य या डाक्टर की दूकान पर खड़े होकर “औषधि दीजिए, औषधि दीजिए' की रट लगाने से प्रयोजन पूरा नहीं हो सकता । वहाँ तो अमुक रोग की अमुक औषधि का विशेष रूप से नामोल्लेख करना होगा। ऐसा करने पर ही औषधि प्राप्त हो सकती है, और फिर पट्टी आदि करके कार्य सिद्ध हो सकता है, अन्यथा नहीं। फलतः जीवन-क्षेत्र में पग-पग पर विशेष ही कार्य-साधक हो सकता हैं, सामान्य नहीं । विशेष के विना सामान्य नपुसक है।
For Private And Personal Use Only