Book Title: Naykarnika
Author(s): Vinayvijay, Sureshchandra Shastri
Publisher: Sanmati Gyanpith

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - ऋजुसूत्रनय ऋजुसूत्रनयो वस्तु, नातीतं नाप्यनागतम् । मन्यते केवलं किन्तु, वर्तमानं तथा निजम् ॥ ११॥ अर्थ Age क ऋजुसूत्रनय वस्तु की अतीत और अनागत पर्याय को नहीं मानता। वह तो केवल वस्तु की वर्तमान पर्याय और वह भी अपनी ही पर्याय को स्वीकार करता है । विवेचन ऋजु का अर्थ है अवक्र = सरल और सूत्र का अर्थ है सूचना देना । अथवा ऋजु = अवक और श्रुतबोध | जिसका अव बोध हो, वह ऋजुसूत्र | अथवा जो वस्तु को अव क्रता = सरलता से ग्रहण करता है, वह, ऋजुपुत्र । वर्तमानकालीन और स्वकीय वस्तु प्रत्युत्पन्न कहलाती है, ऐसी वस्तु को यह नय अवक्र मानता है। इससे विपरीत जो वस्तु हो, उसे अविद्यमान होने के कारण यह नय उसे वक्र कहता है २६ ] For Private And Personal Use Only

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