Book Title: Nandanvan Kalpataru 2018 06 SrNo 40
Author(s): Kirtitrai
Publisher: Jain Granth Prakashan Samiti

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Page 42
________________ नियति - सुशान्त सुप्रिय मेरे भीतर एक अंश रावण है एक अंश - राम एक अंश दुर्योधन है एक अंश - युधिष्ठिर जी रहा हूँ मैं निरन्तर अपने ही भीतर अपने हिस्से की - रामायण अपने हिस्से का - महाभारत !! नियतिः ___- सं. कल्याणकीर्तिविजयः ममाऽभ्यन्तरे एकोऽशो रावणोऽस्ति एकोऽशो - रामः एकोऽशो दुर्योधनोऽस्ति ___ एकोऽशो - युधिष्ठिरः, जीवामि अहं निरन्तरं स्वस्यैवाऽभ्यन्तरे स्वस्याऽशस्य - रामायणम् स्वस्याउंशस्य - महाभारतम् !! (हिन्दी-त्रैमासिक-विश्वगाथा( जनवरी-२०१८ )कृपातः)

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